झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। 26 अप्रैल को राजधानी रांची के एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें एक विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट (PhD) की उपाधि प्रदान की गई। यह उपाधि भारत वर्चुअल ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के द्वारा दी गई थी।

हालांकि अब इस उपाधि को लेकर सियासी तूफान खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता अजय साह ने विश्वविद्यालय की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय पूरी तरह फर्जी है और इसकी देश में कोई मान्यता नहीं है। अजय साह ने झारखंड सरकार से पूछा कि जब विश्वविद्यालय ही अमान्य है तो फिर मंत्री को दी गई उपाधि का क्या औचित्य रह जाता है?
इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने पलटवार किया है। झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि भाजपा को पहले अपने नेताओं की डिग्रियां सार्वजनिक करनी चाहिए। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने अगर 10 साल की उम्र में मैट्रिक पास कर लिया था, तो उसकी भी जांच होनी चाहिए।” मनोज पांडे ने कहा कि भाजपा को हफीजुल हसन की लोकप्रियता से भय हो गया है, इसलिए इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं।
फिलहाल, मंत्री हफीजुल हसन ने इस विवाद पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा तेजी से गर्माता जा रहा है।