केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को झारखंड समेत तीन राज्यों को भारतीय रेल ने बड़ी सौगात दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेल मंत्रालय की दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत 6,405 करोड़ रुपये है। कैबिनेट ने झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात जिलों को शामिल करते हुए भारतीय रेल की दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी।सरकार के मुताबिक, इन पहलों से यात्रा सुविधा में सुधार होगा, लॉजिस्टिक लागत घटेगी, तेल आयात में कमी और कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में गिरावट आएगी, जिससे टिकाऊ और कुशल रेल प्रचालन को बढ़ावा मिलेगा।

झारखंड में 133 किमी की डबल लेन को मंजूरी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि झारखंड में कोडरमा से बरकाकाना के बीच 133 किमी की डबल लेन को मंजूरी मिल गई है, जिसकी लागत 3,063 करोड़ रुपये है। इससे पटना और रांची के बीच की दूरी कम हो जाएगी। यह कोडरमा, चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों को अच्छी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
झारखंड में भारतीय रेलवे की कोडरमा-बरकाकाना मल्टीट्रैकिंग परियोजना पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, विशेषज्ञों की गणना के अनुसार इस परियोजना से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा सात करोड़ पेड़ लगाने के बराबर होगी। इससे देश में सालाना 32 करोड़ लीटर डीजल की बचत भी होगी। इससे 938 गांवों और 15 लाख की आबादी को लाभ होगा। यह 30.4 मिलियन टन अतिरिक्त माल ले जा सकती है, जो सड़क मार्ग से माल भेजने के विपरीत पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी अच्छा साबित होगा।
रेलवे का नेटवर्क करीब 318 किलोमीटर बढ़ेगा
दूसरा प्रोजक्ट बेल्लारी से चिकजाजूर के बीच का है। यहां दूरी 185 किलोमीटर है। यह लाइन कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ जिलों से होकर जाती है। इन दोनों प्रोजेक्ट्स से रेलवे का नेटवर्क करीब 318 किलोमीटर बढ़ेगा और 7 जिलों के 1,400 से ज्यादा गांवों को फायदा मिलेगा। इन गांवों की कुल आबादी करीब 28 लाख है। इससे ट्रेनों की आवाजाही बेहतर होगी, समय की बचत होगी और ज्यादा माल ढोया जा सकेगा। कोयला,लोहा, सीमेंट,खाद,पेट्रोल और कृषि से जुड़ा माल इन रास्तों से तेजी से भेजा जा सकेगा।
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत परियोजनाएं
रेल मंत्रालय ने बताया कि ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत तैयार की गई हैं, जो मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देती हैं। इससे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की गतिशीलता में सुधार होगा। परियोजनाओं के पर्यावरणीय लाभों की बात करें तो, रेलवे एक पर्यावरण मित्र और ऊर्जा दक्ष परिवहन तरीका है, जो देश के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा। इसके अलावा, ये परियोजनाएं देश के लॉजिस्टिक लागत को कम करने, तेल आयात (52 करोड़ लीटर) घटाने और कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन (264 करोड़ किलोग्राम) को घटाने में सहायक होंगी, जो 11 करोड़ पेड़ों के लगाने के बराबर होगा।