मिरर मीडिया : लोकसभा में पास होने के बाद अब 131 वोट के साथ दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में भी पास हो गया है। बता दें कि इसके पक्ष में 131 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ 102 वोट पड़े हैं। NDA को उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिला है। वोटिंग के दौरान विपक्ष को 7 वोट कम मिले, वहीं एनडीए को उम्मीद से 10 वोट ज्यादा मिले। वहीं इस बिल का दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जमकर विरोध किया था लेकिन ये बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि बिल का मकसद दिल्ली में भ्रष्टाचार को रोकना है। शाह ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने भी दिल्ली को पूरा अधिकार नहीं दिया। हमें किसी राज्य के पावर को लेने की जरूरत नहीं है। केजरीवाल सरकार पूर्ण राज्य की पावर एन्जॉय करना चाहते हैं। दिल्ली के किसी भी सीएम के साथ ऐसे झगड़े नहीं हुए हैं। दिल्ली में अराजकता फैलाने का काम शुरू किया गया। केजरीवाल सरकार पावर का अतिक्रमण करती है।
शाह ने कहा, ‘संविधान सभा में सबसे पहला संविधान संशोधन पारित किया गया था। तब से संविधान को बदलने की प्रक्रिया चल रही है। हम संविधान में बदलाव आपातकाल डालने के लिए नहीं लाए हैं। हम संविधान में बदलाव उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री की सदस्यता को पुनर्जीवित करने के लिए नहीं लाए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘यह बिल हम शक्ति को केंद्र में लाने के लिए नहीं बल्कि केंद्र को दी हुई शक्ति पर दिल्ली UT की सरकार अतिक्रमण करती है, इसको वैधानिक रूप से रोकने के लिए यह बिल लेकर लाए हैं।
क्या है ये बिल
ये बिल दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ा देगा। ये एलजी को दिल्ली सरकार के अधीन सेवारत सभी नौकरशाहों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से संबंधित मामलों में अंतिम प्राधिकारी बनाता है। दिल्ली प्रशासन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों और तबादलों पर निर्णय लेने की शक्ति उपराज्यपाल के पास होगी।
उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा द्वारा अधिनियमित बोर्डों या आयोगों के प्रमुखों को नियुक्त करने की शक्ति भी होगी।
बिल में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) की स्थापना का प्रावधान है, जो सभी समूह ‘ए’ अधिकारियों (भारतीय प्रशासनिक सेवा – आईएएस) और दानिक्स (दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा) के अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग की सिफारिश करने के लिए जिम्मेदार होगा।
राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे।
विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया है। बिल को अब कानून बनाया जाएगा और यह केंद्र द्वारा नियुक्त नौकरशाहों को दिल्ली सरकार में निर्वाचित मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाने की शक्ति देगा।