सिर्फ लाल किले पर कब्जे की मांग क्यों, फतेहपुर सीकरी और ताजमहल नहीं चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने पूछ लिया सवाल

Neelam
By Neelam
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मुगल सम्राज्य के आखिरी शासक बहादुर शाह जफर के परपोते की कथित विधवा सुल्ताना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट में एक दिलचस्प याचिका दायर की थी। अदालत ने जिसे आज खारिज कर दिया।रजिया सुल्ताना बेगम खुद को अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के पड़पोते मिर्जा बेदार बख्त की बीवी बताती है। कानूनी उत्तराधिकारी होने के चलते रजिया सुल्ताना ने अपनी याचिका में लाल किले को वापस लौटाने या 1857 से लेकर आज तक के लिए मुआवजा देने की मांग की थी। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने याचिका को गलत और निराधार करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट में दायर इस दिलचस्प याचिका पर सीजेआई खन्ना ने भी दिलचस्प सवाल पूछा। सीजेआई ने कहा कि सिर्फ लाल किला क्यों मांग रहे हैं, फतेहपुर सीकरी, ताजमहल आदि क्यों नहीं मांगते। सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि आप इस पर बहस करना चाहते हैं। मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के ‘परपोते की विधवा’ सुल्ताना बेगम की याचिका को गलत बताते हुए सीजेआई की बेंच ने सुनवाई से इनकार कर दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है याचिका

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने 13 दिसंबर, 2024 को सुल्ताना बेगम की याचिका को खारिज कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट में उस समय जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा था कि वैसे तो मेरा इतिहास बहुत कमजोर है, लेकिन आप दावा करती हैं कि 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने आपके साथ अन्याय किया था तो दावा करने में 150 साल से ज्यादा की देरी क्यों की। आप इतने सालों से क्या कर रही थीं। इस पर सुल्ताना बेगम के वकील विवेक मोर ने जवाब दिया था कि जब ये लोग विदेश से वापस लौटे तो स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सुल्ताना बेगम के पति मिर्जा बेदर बख्त की पेंशन बांध दी थी। हालांकि पति के मरने के बाद ये पेंशन सुल्ताना बेगम को मिल रही है लेकिन ये बताइये 6000 रुपये महीने में क्या होता है। सुल्ताना बेगम की हालात बहुत खराब। सुल्ताना बेगम ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

याचिका में क्या कहा गया?

ये पहली दफा नहीं है जब सुल्ताना बेगम ने इस तरह की याचिका दायर किया हो। उन्होंने पहली बार ये याचिका साल 2021 में हाईटोर्ट में दायर किया था। सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में कहा था कि 1857 में ढाई सौ एकड़ में उनके पुरखों के बनवाए लाल किले पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जबरन कब्जा कर लिया था। कंपनी ने उनके दादा ससुर और आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को अरेस्ट करके रंगून जेल भेज दिया था। इसके बाद लालकिले पर ब्रिटिश सरकार का कब्जा रहा और आजादी के बाद से लालकिला भारत सरकार के पास है।

उनको उम्मीद थी कि सरकार इस बहाने उनकी बात पर ध्यान देगी और कम से कम कुछ आर्थिक मदद देगी। पर ऐसा कुछ होता हुआ नहीं नजर आया। फिलहाल वो कोलकाता के पास हावड़ा में रहती हैं।

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