महाशिवरात्रि पर देवघर, काशी विश्वनाथ, प्रयागराज, अयोध्या, नासिक से लेकर उज्जैन तक बम-बम भोले के जयकारे

KK Sagar
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भोलेनाथ की भक्ति में डूबे श्रद्धालु, मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर पूरे देश में शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। काशी विश्वनाथ, प्रयागराज, अयोध्या, नासिक, देवघर से लेकर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर तक “बम-बम भोले” के जयकारों से गूंज उठा है। आधी रात से ही शिव भक्त भगवान शिव की आराधना में लीन हैं।

काशी विश्वनाथ में मंगला आरती, महाकाल मंदिर में भस्म आरती

वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य मंगला आरती संपन्न हुई। भक्तों के लिए कपाट खोले गए और जलाभिषेक का विशेष आयोजन किया गया। वहीं, उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल की भस्म आरती के साथ शिवरात्रि का शुभारंभ हुआ।

प्रयागराज महाकुंभ का अंतिम दिन, सरयू में पुण्य स्नान

महाशिवरात्रि के दिन प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का अंतिम स्नान पर्व भी आयोजित किया गया, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं ने पावन स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। वहीं, अयोध्या में भी श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान कर भगवान रामलला के दर्शन कर रहे हैं।

देवघर में भक्तों की अपार भीड़, बाबा बैद्यनाथ के दर्शन

झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। मंदिर परिसर में शिव भक्त लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर दर्शन कर रहे हैं। पूरे परिसर में “हर-हर महादेव” के जयकारे गूंज रहे हैं।

महाशिवरात्रि व्रत का महत्व और पूजा विधि

महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे लेकर शिव भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

महाशिवरात्रि के व्रत के लाभ:

  1. मनचाहा जीवनसाथी – कुंवारी कन्याएं और युवक शिव-पार्वती विवाह की स्मृति में व्रत रखकर उत्तम जीवनसाथी की कामना करते हैं।
  2. संपूर्ण सुख और समृद्धि – शिवरात्रि व्रत और रात्रि जागरण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  3. पापों का नाश – शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध और जल अर्पण करने से समस्त पापों का क्षय होता है।
  4. मोक्ष की प्राप्ति – रात्रि जागरण और शिव मंत्रों के जाप से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

महाशिवरात्रि की पूजा के चार प्रहर और शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि के दिन 4 प्रहर में पूजा करने का विशेष महत्व है। इस वर्ष 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जा रही है और शिव भक्त 4 प्रहर की पूजा करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

चार प्रहर के पूजा मुहूर्त:

  • पहला प्रहर – रात 6:30 बजे से 9:30 बजे तक
  • दूसरा प्रहर – रात 9:30 बजे से 12:30 बजे तक
  • तीसरा प्रहर – रात 12:30 बजे से 3:30 बजे तक
  • चौथा प्रहर – रात 3:30 बजे से सुबह 6:30 बजे तक

पूजा विधि:

  • शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत अर्पित करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, रुद्राक्ष, भस्म और गंगाजल से भगवान शिव का पूजन करें।
  • “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।

12 ज्योतिर्लिंगों की विशेष पूजा

महाशिवरात्रि के दिन देशभर में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा का भी विशेष महत्व है। इन ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ (वाराणसी), महाकालेश्वर (उज्जैन), त्र्यंबकेश्वर (नासिक), सोमनाथ (गुजरात), बैद्यनाथ (देवघर), ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश) समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है।

महाशिवरात्रि की महिमा

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने स्वयं को प्रकाश-लिंग के रूप में प्रकट किया था। महाशिवरात्रि को शिव तत्त्व की प्राप्ति का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

हर-हर महादेव!

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