मिरर मीडिया : नेशनल ग्रिन ट्रिब्यूनल के नदियों से बालू उत्खनन पर रोक के बावजूद भी बालू का अवैध तरीके से खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है। बराकर नदी में पूर्वी टुंडी का बेजड़ा घाट बालू तस्करी का मुख्य सेंटर बना हुआ है। आपको बता दें कि अनुमानित तौर पर धनबाद जिले से प्रतिदिन 200 से अधिक हाईवा एवं ट्रक से बालू तस्करी हो रहा है। इसके अलावा एक हजार से अधिक ट्रैक्टर एवं 407 वाहन बालू उठाव कर जिले के अंदर खपाया जा रहा है। बालू घाट के निकट दर्जनो स्टॉक यार्ड बनाया गया है। वहीं से हाईवा एवं ट्रक से बालू बाहर भेजा जा रहा है।
पुलिस, परिवहन एवं खनन विभाग की मिलीभगत से चल रहा गोरखधंधा
धनबाद की प्रमुख नदियां बराकर, दामोदर, जमुनिया, खुदिया, कतरी आदी के पास बालू का विशाल भंडार है। 2 साल पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नदियों से बालू उत्खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी थी। लेकिन पुलिस, परिवहन एवं खनन विभाग के अधिकारी की मिलीभगत से यह गोरखधंधा बेखौफ चल रहा है। बालू तस्करी का यह खेल रात के अंधेरे में होता है। जिस थाना क्षेत्र में बालू घाट है, उस थाना में तस्कर सबसे अधिक चढ़ावा देते हैं। इसके अलावा रस्ते में जो जो थाना पड़ता है उसे अलग से चढ़ावा देना पड़ता है। यह पूरा धंधा अवैध तरीके से चलाया जा रहा है।
नाव से बालू निकालकर ट्रक में किया जाता है लोड, प्रत्येक थाना पार करने के लिए लेते है चढ़ावा
सबसे अधिक बालू की तस्करी पूर्वी टुंडी प्रखंड के बेजड़ा घाट से होती है। करीब सौ से अधिक हाईवा व दो सौ से अधिक ट्रैक्टर व 407 से बालू की तस्करी होती है। बेजड़ा घाट में बराकर नदी से बालू निकालने के कार्य में सैकड़ों नाव लगे होते हैं। नाव से किनारे लाकर बालू ट्रैक्टर में लोड किया जाता है। घाट के आसपास लगभग 10 एकड़ से अधिक भूमि में अवैध बालू स्टॉक किया जाता है। यहां से जेसीबी एवं मिनी लोडर के सहारे हाईवा एवं ट्रकों में बालू लोड कर बाहर भेजा जाता है। वर्तमान में प्रखंड में बालू घाट का लीज नहीं है। बालू के स्टॉकिस्टों से भी बालू का चालान नहीं मिल रहा है। बावजूद स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से रोजाना सैकड़ों हाईवा एवं ट्रैक्टरों से अवैध बालू निकाला जा रहा है।

पूर्वी टुंडी से गोविंदपुर होते हुए गोलबिडिंग के पास कुछ गाड़ियां रुकती है जबकि कुछ धनबाद पुलिस लाइन से लेकर हटिया मोड़ तक खड़ी रहती है किसी के पास वैध चालान नहीं होता है संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में भी मामला है लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होती क्योंकि बालू उठाव से लेकर बालू के बिक्री तक रास्ते में स्थानीय पुलिस से लेकर अधिकारियों तक का रेट तय रहता है। सूत्रों की माने तो प्रति गाड़ी खनन विभाग 7हजार, परिवहन विभाग 5 हजार रुपया एवं एमबीआई विभाग द्वारा 3 हजार की वसूली की जाती है।
बालू घाटों की बंदोबस्ती पर 14 जुलाई तक लगी है रोक
भूमि अधिग्रहण विस्थापन एवं पुनर्वास समिति द्वारा एनजीटी में वाद दायर किया गया था जिसमें जेएसएमडीसी द्वारा निकाले गए टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत करते हुए टेंडर रद्द करने की मांग की गई थी जिसके बाद सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 14 जुलाई तक बालू घाटों की बंदोबस्ती पर रोक के आदेश दिए
अब सवाल यह उठता है कि एनजीटी द्वारा बालू खनन पर रोक लगाने के बावजूद कैसे धड़ल्ले से शहर में बालू की बिक्री हो रही है। अधिकारियों के संज्ञान में मामला होने के बावजूद अधिकारी मौन क्यों हैं। कहीं ना कहीं इसमें संबंधित विभाग के अधिकारी की मिलीभगत से भी इनकार नही किया जा सकता।