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धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित “वन नेशन, वन इलेक्शन” विषय पर सेमिनार अचानक विवादों में आ गया है। आयोजन पर न केवल पक्षपातपूर्ण राजनीतिक झुकाव का आरोप लगा है, बल्कि यह भी सवाल उठ रहे हैं कि एक ऐसा संगठन जो अपना ही चुनाव समय पर नहीं करा पा रहा, वह राष्ट्रीय मुद्दों पर कार्यक्रम कैसे कर सकता है?
कार्यक्रम में मचा बवाल, विरोध के बाद पुलिस बुलाई गई
मिली जानकारी के अनुसार, कार्यक्रम के दौरान कुछ लोगों ने नेताओं की उपस्थिति और राजनीतिक एजेंडा को लेकर विरोध किया। विरोध इतना बढ़ गया कि आयोजकों को पुलिस बुलानी पड़ी। आरोप है कि विरोध कर रहे लोगों को डराने के लिए हवाई फायरिंग भी की गई, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
सवाल: व्यापारी संगठन या राजनीतिक मंच?
विपक्ष के नेताओं और व्यापारियों का कहना है कि:
“चेंबर ऑफ कॉमर्स का काम व्यापारी हितों की बात करना है, ना कि किसी राजनीतिक पार्टी की विचारधारा को मंच देना।”
वहीं, कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि:
“2024 में आम चुनाव, विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनाव अलग-अलग समय पर हुए, इससे पहले ही व्यापारी वर्ग परेशानी झेल रहा है। अब पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की बात करके और भी भ्रम फैलाया जा रहा है।”
पूर्व अध्यक्ष प्रभात सुरेलिया का तीखा हमला
बैंक मोर्चा चेंबर के पूर्व अध्यक्ष प्रभात सुरेलिया ने इस आयोजन पर सीधा हमला करते हुए कहा:
“धनबाद चेंबर ऑफ कॉमर्स जो खुद का चुनाव समय पर नहीं करवा सकता, ऑडिटेड बैलेंस शीट नहीं दे सकता, वह ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ जैसे गंभीर मुद्दे पर ज्ञान बांट रहा है। ये विषय संसद की JPC में देश के वरिष्ठ वकील और विशेषज्ञों के साथ चर्चा का विषय है, न कि चेंबर का।”
उन्होंने आगे कहा:
“देश में अभी ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है कि सभी चुनाव एक साथ कराए जा सकें। इससे साल भर आचार संहिता लागू रहेगी, जिससे व्यापार और आम जीवन बुरी तरह प्रभावित होगा।”
प्रभात सुरेलिया ने तंज कसते हुए कहा:
“जिला चेंबर पहले अपने 55 अधीनस्थ चेंबरों का चुनाव एक साथ करा ले, फिर देश को चुनाव सुधार पर सलाह दे।”
निष्कर्ष: उद्देश्य से भटके संगठन पर उठे सवाल
धनबाद चेंबर ऑफ कॉमर्स पर इस आयोजन के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या गैर-राजनीतिक संगठन अब राजनीतिक मंच बनते जा रहे हैं? व्यापारियों से जुड़े मुद्दों पर अक्सर चुप्पी साध लेने वाला संगठन यदि अब राजनीतिक विचारों का प्रचार करने लगे तो उसकी साख और उद्देश्य दोनों पर सवाल खड़े होना लाजमी है।
कमल (मिरर मीडिया)