धनबाद स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर विवादों की चपेट में आ गया है। इस बार विभाग के भीतर एक वरिष्ठ पदाधिकारी पर मानसिक उत्पीड़न और वित्तीय अनियमितता जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
एनसीडी (नॉन कम्युनिकेबल डिज़ीज़) विभाग के जिला कार्यक्रम सहायक लालदेव रजक ने जिला कार्यक्रम प्रबंधन (डीपीएम) नीरज कुमार यादव पर न केवल मानसिक प्रताड़ना देने बल्कि वीआईए (Visual Inspection with Acetic acid) किट की खरीद में घोटाले का आरोप लगाया है।
लालदेव रजक ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री, अनुसूचित जाति आयोग, धनबाद उपायुक्त (DC) और स्थानीय थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
क्या है पूरा मामला?
लालदेव रजक का कहना है कि वे एनसीडी विभाग के तहत जिला कार्यक्रम सहायक के पद पर कार्यरत हैं। विभागीय कार्यों के दौरान डीपीएम नीरज यादव ने गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच के लिए लाखों रुपये की वीआईए किट खरीद की।
यह खरीद एनसीडी विभाग के माध्यम से होनी चाहिए थी, लेकिन डीपीएम ने इसे स्वयं से, बिना किसी पूर्व सूचना या अनुमोदन के कर लिया। लालदेव का दावा है कि उन्होंने इस घोटाले की ओर इशारा किया, जिसके बाद से डीपीएम लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
“लगातार धमकियां और अनुचित व्यवहार” – लालदेव का आरोप
लालदेव का कहना है कि डीपीएम नीरज यादव की ओर से उन्हें:
अपमानजनक भाषा में बात की जा रही है,
झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं,
जबरन ऐसे फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है जिनमें गड़बड़ी है,
दूरस्थ जिलों में स्थानांतरण की धमकी दी जा रही है,
सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जा रहा है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि, “इन सबका मेरे मानसिक स्वास्थ्य और कार्यक्षमता पर गहरा असर पड़ा है। मेरे पास इन आरोपों से संबंधित पूरे सबूत मौजूद हैं।”
डीपीएम नीरज यादव की विवादित पृष्ठभूमि
इस मामले को और गंभीर बनाता है डीपीएम नीरज यादव का पूर्व विवादास्पद रिकॉर्ड। कोरोना काल के दौरान जब वे चाईबासा में पदस्थापित थे, तब पीपीई किट की खरीद में गड़बड़ी को लेकर उन पर आरोप लगे थे।
सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए, और जांच पूरी होने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। यह मामला बाद में कोर्ट तक गया और अब वे वापस सेवा में बहाल हैं।
नीरज यादव ने बताया आरोप बेबुनियाद
वहीं, इस पूरे मामले पर डीपीएम नीरज यादव ने लालदेव के आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि लालदेव को 5 जुलाई को सिविल सर्जन की ओर से शो-कॉज नोटिस दिया गया था। इसके बाद से ही वे नाराज होकर झूठे आरोप लगा रहे हैं।
नीरज यादव ने बताया कि मुख्यालय ने सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) से जुड़ी रिपोर्ट मांगी थी, जिसके लिए लालदेव को कई बार कहा गया, लेकिन उन्होंने रिपोर्ट नहीं सौंपी।
उनके अनुसार, “यह पूरा मामला व्यक्तिगत नाराजगी और विभागीय अनुशासन से बचने की कोशिश है।”