मिरर मीडिया : धनबाद जज उत्तम आनंद हत्या मामले में CBI की जांच एक बार फिर सवालों के घेरे में है दरअसल सवाल झारखंड उच्च न्यायालय ने शनिवार को उठाए हैं और पूछा कि न्यायाधीश की हत्या के प्रत्यक्ष प्रमाण सीबीआई के पास हैं, तो आखिर उसके पीछे के मकसद का पता कब चलेगा। झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार को CBI द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट का अवलोकन किया और कहा कि सीबीआई की रिपोर्ट में यह कहा जाना बहुत महत्वपूर्ण है कि आरोपियों के खिलाफ न्यायाधीश की हत्या के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं और उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत सजा दी जा सकती है लेकिन क्या बिना उद्देश्य के किसी को धारा 302 के तहत सजा दिया जाना संभव है?
हालांकि सीबीआई के मुताबिक जांच अभी जारी है और सीबीआई मामले की तह तक जाने के लिए अन्य नए वैज्ञानिक तरीके अपना रही है ताकि षड्यंत्र का खुलासा किया जा सके। CBI ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि बड़े षड्यंत्र का खुलासा करने में समय लगता है।फिलहाल अभी जांच का अंत नहीं हुआ है। वहीं आरोपियों को जेल में रखकर उनसे पूछताछ करके नए तथ्यों एवं प्रमाणों पर काम करने हेतु सीबीआई की ओर से समयावधि को देखते हुए आरोपपत्र दाखिल किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई भले ही इस मामले के खुलासे को लेकर विश्वस्त हो लेकिन पीठ का विश्वास डगमगा गया है. सीबीआई इस मामले में अभियोजन की तरह सोच रही है लेकिन अदालत एक न्यायाधीश की तरह सोच रही है कि जब उसके सामने यह मामला जाएगा तो बिना किसी कारण, बिना किसी मंशा के हत्या कर देना कैसे साबित होगा?
उच्च न्यायालय ने सीबीआई से यह भी पूछा कि जब हत्या में शामिल ऑटो चालक और उसके सहयोगी की न्यायाधीश से कोई दुश्मनी नहीं थी तो वह उनकी हत्या क्यों करेंगे? अदालत ने सीबीआई से इस मामले में हत्या के मकसद का जल्द से जल्द पता लगाने को कहा और कहा कि उसने पहले ही कहा था कि इस घटना का खुलासा जल्द हो अन्यथा समय बीतने पर कड़ियों को जोड़ना मुश्किल हो जायेगा। आपको बता दें कि मामले में अब सुनवाई अगले सप्ताह सुनवाई होगी। गौरतलब है कि हाईप्रोफइल हत्या मामले में धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की एक ऑटो चालक लखन वर्मा ने अपने सहयोगी राहुल वर्मा के साथ 28 जुलाई को सुबह की सैर के दौरान टक्कर मार कर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड की जांच सीबीआई कर रही है।