धनबाद -स्वास्थ्य विभाग के कारनामे हर दिन सुर्खियों में रहते हैं। ताजा मामला सिविल सर्जन कार्यालय को लेकर है। जहां सिविल सर्जन ने नोडल डॉ राजकुमार का एक तरफ इस्तीफा स्वीकार कर लिया है तो वही दूसरी आदेश जारी कर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव कुमार को सदर अस्पताल का उपाधीक्षक बनाया है। लेकिन मजेदार बात यह है कि सदर अस्पताल में उपाधीक्षक का पद सृजत सरकार ने अभी तक नहीं की है। इसी वजह से यहां नोडल प्रभारी बनाए जाते हैं। लेकिन सिविल सर्जन द्वारा जारी आदेश में उपाधीक्षक की जिम्मेवारी का जिक्र है।
यही नहीं, सदर अस्पताल में डॉ संजीव कुमार ने अपने निजी क्लीनिक का प्रचार प्रसार किया था। वह अपने न्यू लाइफ क्लिनिक का जगह-जगह प्रचार कर रहे थे इस पर जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह ने जांच की मांग की थी। फिलहाल जांच की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इस बीच सिविल सर्जन ने पत्र जारी कर संजीव कुमार को सदर अस्पताल की जिम्मेवारी सौंप दी है।
7 मई को नोडल पदाधिकारी डॉ राजकुमार ने सोप था इस्तीफा
22 दिन पूर्व नोडल पदाधिकारी डॉक्टर राजकुमार ने सिविल सर्जन को इस्तीफा सौप था और उसमें यह जिक्र किया था कि उन पर अत्यधिक दबाव बनाए जा रहे हैं जिसके कारण वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं मामले में तत्कालीन उपायुक्त माधवी मिश्रा ने हस्तक्षेप कर सिविल सर्जन और डॉ राजकुमार को आपसी समन्वय बनाकर काम करने के नसीहत दी थी जिसके बाद सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन ने मीडिया के समक्ष यह स्वीकार किया था कि डॉ राजकुमार का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है और वह अपने पद पर बने रहेंगे मगर जैसे ही उपयुक्त माधवी मिश्रा का तबादला हुआ सिविल सर्जन के मूड में परिवर्तन हो गया और 27 मई को माधवी मिश्रा का तबादला हुआ और करीब 22 दिन बाद सिविल सर्जन ने इस्तीफा स्वीकार उपाधीक्षक बना दिया
जानकारी के अनुसार मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद उपाधीक्षक के पद सृजन पर सहमति करने के बाद ही नए पद का सृजन होता है लेकिन ना तो यहां मंत्री परिषद की बैठक हुई ना ही कोई आदेश आए हैं ऐसे में उपाधीक्षक पद सृजन करने पर सवाल खड़े हो रहे हैं इससे पूर्व भी संजीव कुमार को उपाधीक्षक बनाकर सदर अस्पताल में भेजा गया था जिसके बाद मामला तुल पकड़ा था और वरीय अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद उन्हें वापस वहां से हटाया गया था
हालांकि इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन ने बताया कि इसका जवाब वो आज नहीं कल देंगे साथ ही डॉ संजीव कुमार को सदर अस्पताल का उपाधीक्षक कैसे बना दिया गया के सवाल पर टाल मटोल कर गए
अब एक ऐसे डॉक्टर जिन पर आरोप लग चुके हैं उन्हें आनन फानन में जिम्मेवारी क्यों दी ,ऐसा क्या हो गया जो 22 दिन बाद नोडल का इस्तीफा स्वीकार करना पड़ा इन सभी सवालों के जवाब अभी अनसुलझे हैं