झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर राज्य की कानून-व्यवस्था और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर एक तीखी पोस्ट करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब मांगा है।
मरांडी ने पोस्ट में लिखा,
“डीआईजी बड़ा या डीएसपी? मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी, झारखंड के लोगों को आपसे इस सवाल का जवाब चाहिए।”
उन्होंने दावा किया कि धनबाद क्षेत्र के कुछ पुलिसकर्मियों का तबादला डीआईजी की प्रशासनिक अनुशंसा पर हुआ था, जिसे बाद में एक डीएसपी की रिपोर्ट के आधार पर रोक दिया गया। इस निर्णय प्रक्रिया पर पुलिसकर्मियों के संघ ने भी आपत्ति जताते हुए इसकी जांच की मांग की है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग की दुकान
मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य के पुलिस मुख्यालय में कुछ एनजीओ से जुड़े लोग ट्रांसफर-पोस्टिंग का कारोबार चला रहे हैं, जिसमें नियमों और प्रक्रियाओं को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनौपचारिक रूप से कई पुलिसकर्मियों ने उन्हें बताया कि यह पूरा सिस्टम अब “दुकानदारी” में बदल चुका है।
राज्य में डीजीपी नहीं, अवैतनिक कार्यरत अधिकारी पर सवाल
बाबूलाल मरांडी ने यह भी गंभीर आरोप लगाया कि झारखंड में इस समय कोई नियमित डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) नहीं है और जिनसे डीजीपी का काम करवाया जा रहा है, वे न तो विधिवत नियुक्त हैं और न ही वेतन पा रहे हैं। उन्होंने लिखा कि यह स्थिति पूरे पुलिस महकमे और जनता के लिए हास्यास्पद बन गई है।
मुख्यमंत्री से मांगा जवाब
अपने पोस्ट के माध्यम से मरांडी ने मुख्यमंत्री से सीधा सवाल किया कि जब प्रशासनिक आदेशों को निचले स्तर के अधिकारी पलट सकते हैं, तो ऐसी व्यवस्था की वैधता क्या है? उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
अब निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया पर
इस मामले ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। विपक्ष सरकार पर भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता के आरोप लगा रहा है, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड पुलिस मुख्यालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।