डिजिटल डेस्क। कोलकाता: पश्चिम बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के हालिया बयान ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भ्रष्टाचार के मामलों में क्लीन चिट देते हुए कहा कि ‘ममता बनर्जी के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग ममता के आसपास थे या हैं, वे दागी हैं।’ यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब घोष पार्टी के भीतर कई महीनों से अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं और उनके तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल होने की अटकलें लगातार तेज हो रही हैं।
घोष की यह टिप्पणी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 30 अप्रैल को दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनकी मुलाकात के बाद आई है, जिसने भाजपा के एक वर्ग में नाराज़गी पैदा की थी। पार्टी से किनारे किए जाने की चर्चाओं के बीच, कई महीनों बाद केंद्रीय नेतृत्व, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव (संगठन) शिव प्रकाश भी शामिल थे, से उनकी मुलाकात ने उनके भविष्य को लेकर कयासों को और हवा दे दी है।
दिलीप घोष, जो बंगाल में भाजपा के आक्रामक चेहरों में से एक रहे हैं, का ममता बनर्जी के प्रति यह नरम रुख कई सवालों को जन्म दे रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि घोष का यह बयान महज एक साधारण टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह उनकी भावी राजनीतिक दिशा का संकेत हो सकता है। यह अटकलें इसलिए भी पुख्ता हो रही हैं क्योंकि हाल के दिनों में कई भाजपा नेताओं ने टीएमसी का रुख किया है, खासकर 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद।
सूत्रों के अनुसार, दिलीप घोष को भाजपा में अपनी भूमिका और महत्व में कमी महसूस हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने और पार्टी के भीतर उनके प्रभाव में कमी आने के बाद से ही वे असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी के पक्ष में उनका बयान, और वह भी केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के तुरंत बाद, यह दर्शाता है कि वे अपने विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
टीएमसी के सूत्रों ने भी इन अटकलों को बल दिया है, हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है। टीएमसी के एक अंदरूनी सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘अगर दिलीप घोष जैसे अनुभवी नेता टीएमसी में आते हैं, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा फायदा होगा, खासकर आगामी पंचायत चुनावों और 2026 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर।’
हालांकि, दिलीप घोष ने अभी तक टीएमसी में शामिल होने की संभावना पर कोई सीधा बयान नहीं दिया है। लेकिन उनके बयान और हाल की गतिविधियों को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। क्या दिलीप घोष भाजपा का दामन छोड़कर टीएमसी में शामिल होंगे, यह आने वाले दिनों में और स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन फिलहाल उनके बयान ने राजनीतिक गलियारों में गरमाहट ला दी है।