डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर ने सोमवार को खेल से संन्यास की घोषणा कर अपने फैंस को भावुक कर दिया। दीपा ने सोशल मीडिया पर इस फैसले की जानकारी दी और बताया कि वह भविष्य में कोच या मेंटर की भूमिका निभा सकती हैं। यह निर्णय पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल होने के एक महीने बाद आया है।
जिम्नास्टिक से संन्यास लेना एक कठिन निर्णय
दीपा ने कहा कि यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन बहुत सोचने के बाद मैंने संन्यास लेने का फैसला किया। जिम्नास्टिक हमेशा मेरे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और इसके लिए मैं हमेशा आभारी रहूंगी।उन्होंने अपने शुरुआती संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि बचपन में उन्हें सपाट पैरों की वजह से जिमनास्ट बनने में मुश्किलें आईं, लेकिन आज उन्हें अपनी उपलब्धियों पर गर्व है। उन्होंने रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट के प्रदर्शन को अपने करियर का सबसे यादगार पल बताया।
उपलब्धियों से भरा शानदार करियर
त्रिपुरा की दीपा करमाकर ने 2016 के रियो ओलंपिक में हिस्सा लिया, जहां वह चौथे स्थान पर रहीं और ब्रॉन्ज मेडल से महज 0.15 अंक दूर थीं। इसके अलावा, 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने वॉल्ट स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, और इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। 2015 में उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप और विश्व कलात्मक जिमनास्टिक चैंपियनशिप में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
चोटों और निलंबन से उबरने के बाद वापसी
दीपा को अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें घुटने की सर्जरी और डोपिंग निलंबन शामिल थे। 21 महीने के निलंबन के बाद उन्होंने मई 2024 में ताशकंद में शानदार वापसी की, जहां उन्होंने 13.566 के स्कोर के साथ एशियाई सीनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और ऐसा करने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं।
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