अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति को बड़ा झटका लगा है। वॉशिंगटन डीसी स्थित संघीय अपील अदालत ने शुक्रवार को दिए अपने अहम फैसले में ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश टैरिफ (शुल्क) को अवैध करार दिया। अदालत ने साफ कहा कि राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियाँ तो प्राप्त हैं, लेकिन इनमें टैरिफ या टैक्स लगाने का अधिकार शामिल नहीं है।
कोर्ट का बड़ा फैसला
अदालत ने कहा कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
यह फैसला दो सेट के टैरिफ पर लागू होता है:
- अप्रैल में शुरू किए गए रिसिप्रोकल टैरिफ
- फरवरी में चीन, कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए टैरिफ
हालांकि स्टील और एल्युमिनियम आयात पर लगे अन्य टैरिफ इससे प्रभावित नहीं होंगे।
सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी लड़ाई
अदालत ने ट्रंप प्रशासन को 14 अक्टूबर तक का समय दिया है, ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सके। इससे पहले ही फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता को लेकर भी एक और बड़ी कानूनी जंग सुप्रीम कोर्ट में शुरू होने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप की पूरी आर्थिक नीति को कानूनी संकट में डाल सकता है।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद ट्रंप ने अदालत को ‘अत्यधिक पक्षपातपूर्ण’ बताया और सोशल मीडिया पर लिखा –
“अगर ये टैरिफ हटा दिए गए तो यह देश के लिए विनाशकारी होगा।”
साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को पलट देगा और टैरिफ अमेरिका के हित में बने रहेंगे।
पृष्ठभूमि
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में टैरिफ को विदेश नीति का अहम हथियार बनाया। उनका मानना रहा कि इससे साझेदार देशों पर दबाव बनाकर नए व्यापारिक समझौते किए जा सकते हैं। लेकिन इन टैरिफ के कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी और भारत समेत कई देशों के साथ अमेरिका की तकरार भी तेज हुई।
आगे क्या?
7-4 के बहुमत वाले इस फैसले के बाद अब सबकी निगाहें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। देखने वाली बात होगी कि क्या ट्रंप की आर्थिक नीति को वहां राहत मिलती है या यह फैसला उनकी ट्रेड वॉर रणनीति को पूरी तरह ध्वस्त कर देगा।

