रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ. राजकुमार ने अपने निलंबन को लेकर सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया। डॉ. राजकुमार ने दावा किया कि उनके पास शासी परिषद की बैठक की रिकॉर्डिंग समेत कई अहम दस्तावेज हैं, जो यह साबित करते हैं कि उन पर गलत भुगतान करने का दबाव बनाया जा रहा था।
उन्होंने कहा कि मेडाल और हेल्थमैप जैसी जांच एजेंसियों के बकाया भुगतान को लेकर एजी की आपत्ति के बाद उन्होंने भुगतान से इनकार कर दिया था। इसी को आधार बनाकर बिना जांच और ठोस साक्ष्यों के उन्हें पद से हटाया गया, जो पूरी तरह नियमों के खिलाफ है।
डॉ. राजकुमार ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने अपने पूरे करियर में ईमानदारी से देश की सेवा की है और कभी कोई गलत कार्य नहीं किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि वे किसी के खिलाफ नहीं, बल्कि खुद के साथ हुई अन्याय के खिलाफ न्यायालय की शरण में आए हैं।
याचिका में उन्होंने अपने निलंबन की प्रक्रिया को गैरकानूनी बताया है और कहा है कि निदेशक को हटाने के नियमों की अनदेखी की गई। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट आना उनकी मजबूरी बनी, क्योंकि उन पर गलत तरीके से कार्रवाई की गई है।