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ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभाग का वेबीनार संपन्न, डॉ विशेश्वर ने कहा दिव्यांग जनों को भी ऑनलाइन शिक्षा का मिले लाभ

जमशेदपुर : ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वुमेन, जमशेदपुर और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय वेबीनार “महामारी के दौरान और उसके बाद के लिए सीखने की गुणवत्ता सुनिश्चित करना” विषय पर संपन्न हुआ। इस वेबीनार में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रोफेसर संतोष कुमार ने कहा कि महामारी में छात्रों को सर्वांगीण विकास करना हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ कुमार राका ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा किस प्रकार बेहतर हो इसके लिए हम सभी प्रयासरत हैं। ताकि हम लोग ज्यादा से ज्यादा छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दे सके। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली के रंजन कुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों को आगे आना होगा और राजस्थान राज्य जिस प्रकार हर शिक्षक सप्ताह में एक बार ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर घर-घर गुणवत्ता शिक्षा दे रहे हैं, उसी तरह सभी राज्यों में ऐसी व्यवस्था सरकार लागू करें। द ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वुमेन, जमशेदपुर बीएड विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विशेश्वर यादव ने कहा कि महामारी में शिक्षक प्रयासरत हैं, की गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा छात्रों को मिले। लेकिन झारखंड राज्य जैसे प्रदेश में गरीबी और अशिक्षा के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं और खासकर दिव्यांग जनों को ऑनलाइन शिक्षा से लाभान्वित नहीं करा पा रहे हैं। सरकार को इस पर ध्यान और सहयोग देने की आवश्यकता है। एमएड विभाग कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के डॉ मनोज कुमार ने कहा कि महामारी में ऑनलाइन शिक्षा ही एकमात्र उपाय था। आने वाले दिनों में हमें पूर्ण रूप से ऑनलाइन शिक्षा के लिए तैयार होना पड़ेगा। ऑनलाइन ऑफलाइन के साथ-साथ पढ़ाई करनी होगी। द ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वुमेन , जमशेदपुर के प्राचार्य डॉ मुकुल खंडेलवाल ने इस राष्ट्रीय सेमिनार की बहुत सराहना किया है और कहा कि सभी विभाग को ऐसा वेबीनार करवाना चाहिए। राष्ट्रीय वेबीनार के अंत में सभी श्रोता के प्रश्नों का उत्तर डॉ विशेश्वर यादव और डॉक्टर मनोज कुमार ने दिया। मंच का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर मीनू वर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में लगभग ढाई सौ छात्र-छात्राओं और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।

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