झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने राजधानी रांची के प्रतिष्ठित अस्पताल रिम्स (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) को लेकर सोशल मीडिया पर एक तीखा बयान जारी किया है।
मरांडी ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा:
“रिम्स में आवश्यक दवाएं लंबे समय से उपलब्ध नहीं हैं। मजबूरी में गरीब मरीजों को बाहर की निजी दुकानों से महंगे दामों पर दवा खरीदनी पड़ रही है। ये वही दुकानें हैं जो रिम्स के ठीक पास स्थित हैं और कुछ साल पहले ही खुले हैं। ऐसा लगता है कि रिम्स में जानबूझकर दवाओं की कमी की जा रही है ताकि मरीज इन निजी दुकानों की ओर रुख करें।”
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब एक संगठित मेडिकल माफिया तंत्र का हिस्सा है, जिसे सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
“अगर सरकारी अस्पतालों में दवाएं ही नहीं होंगी, तो आम आदमी कहां जाएगा?” – मरांडी
मरांडी ने सरकार से मांग की कि रिम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की साख को बचाने के लिए मेडिकल माफियाओं पर तुरंत लगाम कसी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल एक अस्पताल की समस्या नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता है।
सरकार की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
मरांडी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने उनकी बात का समर्थन किया है और रिम्स में इलाज करा चुके मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए हैं। वहीं, अब सबकी निगाहें राज्य सरकार और रिम्स प्रशासन की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।