जमशेदपुर : जिला उपायुक्त विजया जाधव के निदेश पर “स्टेक होल्डर कंसल्टेशन मीट” का आयोजन किया गया। बैठक में उप-निदेशक, विदेश व्यापार महानिदेशालय कोलकाता श्री आनंद मोहन मिश्रा, उप विकास आयुक्त पूर्वी सिंहभूम प्रदीप प्रसाद, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र, चाईबासा शम्भू शरण बैठा, उप निदेशक, एमएसएमई रांची, जिला मत्स्य पदाधिकारी, अग्रणी जिला प्रबंधक, वरिष्ठ सहायक निदेशक, ईईपीसी, कोलकाता, संयुक्त आयुक्त, राज्य-कर, जमशेदपुर के प्रतिनिधि, कृषि निरीक्षक, पूर्वी सिंहभूम, आबकारी निरीक्षक, पूर्वी सिंहभूम, जिला उद्यान पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम के प्रतिनिधि, सिंहभूम चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, जमशेदपुर के सदस्य, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स लिमिटेड, टिमकेन इंडिया प्रा० लि०, टाटा ब्लूस्कोप, टाटा इंटरनेशनल डीएलटी, खेतान इंटरप्राइजेज, व अन्य इकाइयों के प्रतिनिधि शामिल हुएI
महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र द्वारा बताया गया कि वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारत में निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में 75 ज़िलों को “एक्सपोर्ट हब” के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है, जिसमे झारखण्ड के दो ज़िले पूर्वी सिंहभूम व रांची सम्मिलित हैं। पूर्वी सिंहभूम ज़िले में ऑटो कंपोनेंट्स व इंजीनियरिंग गुड्स को निर्यात प्रोत्साहन के लिए चयनित किया गया है, क्योंकि इस क्षेत्र में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स व इनकी अनुषंगी इकाइयों की संख्या अधिक है। महाप्रबंधक द्वारा विश्वास व्यक्त किया गया कि “एक्सपोर्ट हब” के रूप में विकसित होने पर न सिर्फ ऑटो कॉम्पोनेन्ट क्षेत्र को, बल्कि खाद्य-प्रसंस्करण, प्लास्टिक, हैंडीक्राफ्ट आदि अन्य की इकाइयों को भी निर्यात के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही उनके द्वारा निर्मित उत्पादों में गुणवत्ता के दृष्टिकोण से अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप सुधार व विकास होगा।
उसके बाद उप-निदेशक, विदेश व्यापार महानिदेशालय, कोलकाता, आनंद मोहन मिश्रा द्वारा जानकारी दी गयी कि झारखंड में सबसे पहले पूर्वी सिंहभूम ज़िले द्वारा “District Export Action Plan” को अनुमोदित कराया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी सिंहभूम ज़िले में ऐतिहासिक रूप से टाटा स्टील व अनुषंगी इकाइयों का ज़िले के सुदृढ़ औद्योगिक वातावरण के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। पूर्वी सिंहभूम व आदित्यपुर औद्योगिक प्रक्षेत्र में श्रम, पूंजी व भूमि की प्रचुर उपलब्धता है, जिससे यहां से निर्माण व निर्यात की प्रचुर संभावना है। उन्होंने उपस्थित निर्यातकों व औद्योगिक इकाइयों के प्रतिनिधिनियों से आग्रह किया कि वे अपनी समस्याओं व अपेक्षाओं से जिला निर्यात प्रोत्साहन समिति को अवश्य अवगत कराएं, जिससे उनका निष्पादन किया जा सके।
सिंहभूम चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव मानव केडिया द्वारा बताया गया कि चैम्बर के अनेक सदस्य निर्यात के लिए इच्छुक हैं, जिसमे ऑटो कॉम्पोनेन्ट के साथ साथ अन्य क्षेत्र जैसे प्लास्टिक, खाद्य प्रसंकरण आदि से सम्बंधित इकाइयां भी हैं। उन्होंने बताया कि भारत के पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि राष्ट्रों में निर्यात के लिए क्या प्रक्रिया है व वहां के आयातकों को किन उत्पादों की आवश्यकता है, इसकी जानकारी चैम्बर के सदस्यों को नहीं है। उन्होंने आग्रह किया कि सिंहभूम चैम्बर भवन में एक कार्यशाला का आयोजन किया जाए, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के उद्यमियों को निर्यात के लिए प्रोत्साहन व आवश्यक दिशा-निर्देश प्राप्त हो सके। सिंहभूम चैम्बर के प्रेसिडेंट नितेश धूत ने भी उप-निदेशक, डीजीएफटी से आग्रह किया कि कार्यशाला में ऑटो कंपोनेंट्स के साथ साथ अन्य क्षेत्रों से सम्बंधित एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल को आमंत्रित किया जाए, ताकि इससे विभिन्न क्षेत्रों के उद्यमियों को निर्यात के लिए बहुमूल्य जानकारी प्राप्त हो सके।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के प्रतिनिधि जॉय चटर्जी ने बताया कि ईईपीसी द्वारा समय-समय पर अपने सदस्यों के लिए निर्यात से सम्बंधित कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। उन्होंने उपस्थित उद्यमियों से आग्रह किया कि वे ईईपीसी की सदस्य्ता ग्रहण कर इन कार्यशालाओं के साथ साथ निर्यात से सम्बंधित अन्य आंकड़ें व जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME), भारत सरकार के प्रतिनिधि द्वारा जानकारी दी गयी कि देश विदेश में आयोजित मेला-प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एमएसएमई मंत्रालय द्वारा एमएसएमई इकाइयों को स्टाल लगाने व आवगमन में वित्तीय अनुदान प्रदान किया जाता है, जिसकी जानकारी मंत्रालय एमएसएमई के पोर्टल पर उपलब्ध है।