जमुई में शिक्षा संकट: मणिद्वीप अकादमी और शिक्षा विभाग की लापरवाही से दर्जनों बच्चों का भविष्य अधर में

KK Sagar
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जमुई, बिहार: जिले में संचालित मणिद्वीप अकादमी और जमुई शिक्षा विभाग के बीच तालमेल की कमी और लापरवाही के चलते दर्जनों बच्चों की शिक्षा पर संकट खड़ा हो गया है। यह मामला 2023 में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत नामांकित बच्चों से जुड़ा है, जब आरटीई की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑफलाइन थी।

अभिभावकों का कहना है कि बच्चों का नामांकन सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ विधिवत रूप से हुआ था। स्कूल प्रशासन द्वारा जो भी कागजात मांगे गए थे, उन्हें समय पर संलग्न कर दिया गया। इसके बाद बच्चों ने कई वर्षों तक स्कूल में नियमित पढ़ाई की। परंतु हाल ही में स्कूल प्रशासन ने यह कहकर बच्चों को पढ़ाई से रोक दिया कि उनका विवरण ज्ञानदीप पोर्टल पर दर्ज नहीं है। वहीं कुछ अन्य बच्चों को दस्तावेजों की कमी का हवाला देते हुए स्कूल में प्रवेश देने से मना कर दिया गया।

शिक्षा से वंचित किए जा रहे दर्जनों बच्चे

8 जुलाई 2025 को स्कूल प्रशासन ने बच्चों को विद्यालय आने से मना कर दिया। इस पर अभिभावकों ने कड़ा ऐतराज जताया और बिहार अभिभावक महासंघ, जमुई इकाई के नेतृत्व में कई बार जमुई शिक्षा विभाग का घेराव भी किया। उन्होंने उच्च शिक्षा अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। शिक्षा विभाग द्वारा केवल इतना कहा गया कि स्कूल से जवाब तलब किया जा रहा है और पत्राचार जारी है।

ग्रीष्मावकाश के बाद जब बच्चों को पुनः स्कूल में आने से रोका गया, तो अभिभावकों ने एक बार फिर शिक्षा विभाग का रुख किया। महासंघ की सचिव साधना कुमारी ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) सीमा कुमारी से इस मुद्दे पर चर्चा की। DPO ने कहा कि वे स्कूल प्रबंधन से बात करेंगी और बच्चों को स्कूल भेजा जाए।

कुछ दिनों तक स्थिति सामान्य रही, लेकिन उसके बाद फिर से स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को यह कहकर आने से रोक दिया कि अब उन्हें सामान्य श्रेणी में पुनः नामांकन करवाना होगा।

स्कूल ने अभिभावकों पर मढ़ा दोष

विद्यालय प्रबंधन ने मामले की जिम्मेदारी अभिभावकों पर डालते हुए दावा किया कि कई बार दस्तावेज मांगे गए, लेकिन उन्हें समय पर नहीं सौंपा गया। इस पर महासंघ की सचिव साधना कुमारी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नामांकन के समय सभी दस्तावेज दिए गए थे, और जब सभी प्रक्रिया पूर्ण थी, तो अब कई वर्षों बाद पोर्टल पर नाम न होने की बात कहकर पढ़ाई से वंचित करना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ज्ञानदीप पोर्टल पर विवरण अपडेट करना विद्यालय और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है, न कि अभिभावकों की, क्योंकि नामांकन पूरी तरह ऑफलाइन हुआ था।

महासंघ ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजा था पत्र

इस मामले को लेकर महासंघ पहले भी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान) को पत्र लिख चुका है। उसमें यह बताया गया था कि मणिद्वीप अकादमी द्वारा तीसरी से सातवीं कक्षा तक के बच्चों को इस आधार पर नामांकन से वंचित किया गया कि उनके आय प्रमाण पत्र 1 लाख से अधिक हैं या गलत हैं। स्कूल प्रबंधन ने बीपीएल कोटा के अंतर्गत नामांकित इन बच्चों को आरटीई के तहत पढ़ाई से रोक दिया, जिससे दर्जनों बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए।

महासंघ ने इस कार्रवाई को मनमानी और असंवेदनशील बताया और कहा कि यह बिहार शिक्षा नियमावली 2011 की धारा 7(i) का सीधा उल्लंघन है, जिसके तहत किसी भी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी छात्र को कक्षा में प्रवेश या परीक्षा से वंचित करे, जब तक कि उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण न हो जाए।

बच्चों के भविष्य पर संकट

महासंघ ने प्रशासन से स्पष्ट और त्वरित हस्तक्षेप की मांग करते हुए आनंद राम, रूपा कुमारी, अंश कुमार, निशा कुमारी, कुमार आर्या, अंकुश कुमार, आयुष कुमार और सनोज कुमार सहित सभी प्रभावित बच्चों को तत्काल स्कूल में प्रवेश और परीक्षा की अनुमति देने की मांग की है।

यह मामला न केवल कानूनी और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बन गया है, बल्कि उन गरीब और वंचित परिवारों के सपनों पर भी कुठाराघात है, जिन्हें सरकार द्वारा शिक्षा का संविधानिक अधिकार प्रदान किया गया है।

वहीं जब मिरर मीडिया ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) सीमा कुमारी से इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कई बार पत्राचार द्वारा विद्यालय प्रबंधन से जवाब तलब किया गया, लेकिन उधर से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि बुधवार, 9 जुलाई को विद्यालय प्रबंधन को जमुई शिक्षा विभाग में तलब किया गया है।

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