डिजिटल डेस्क। कोलकाता: चुनाव आयोग की सख्त चेतावनी आखिरकार पश्चिम बंगाल में रंग लाई है। ड्यूटी से भागे 143 बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने अपनी ज़िम्मेदारी संभाल ली है। बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है कि सभी बीएलओ अपनी निर्धारित ड्यूटी वाली जगहों पर पहुंच गए हैं।
निलंबन की तलवार हुई कारगर
सूत्रों के अनुसार, इन बीएलओ को साफ शब्दों में आगाह किया गया था। उन्हें याद दिलाया गया कि निर्देशों का उल्लंघन करने पर आयोग के पास यह अधिकार है कि वह राज्य सरकार को उन्हें निलंबित करने और कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दे।
यह कड़ी चेतावनी अनिच्छुक अधिकारियों के लिए ‘जादू’ साबित हुई। आयोग ने गुरुवार दोपहर 12 बजे तक ड्यूटी पर रिपोर्ट करने का अंतिम समय दिया था, और सीईओ कार्यालय ने पुष्टि की है कि सभी बीएलओ ने निर्धारित समय सीमा के भीतर काम संभाल लिया। इससे पहले, कुछ बीएलओ के समय पर न पहुंचने की खबरें थीं, जिसके बाद आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा था।
मतदाता सूची विवादों से निपटने के लिए नई पहल
इस बीच, चुनाव आयोग बंगाल के सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की प्रगति की निगरानी के लिए ‘संयुक्त पर्यवेक्षी समितियों’ के गठन के महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
यह प्रस्ताव कुछ राजनीतिक दलों ने आयोग के सामने रखा है। सुझाव दिया गया है कि इन समितियों में सीईओ कार्यालय के अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
इस पहल का तर्क है कि इससे एसआइआर की पूरी प्रक्रिया में उच्चतम स्तर की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और मतदाता सूची से जुड़े विवादों से बचा जा सकेगा। चुनाव आयोग इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है और मानता है कि यह पहल राज्य में मतदाता सूची के काम को लेकर होने वाले विभिन्न विवादों और आरोपों से बचने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

