नई दिल्ली: भारत के निर्वाचन आयोग ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आधार (Aadhaar) और वोटर आईडी (EPIC) को जोड़ने की अनुमति दे दी है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़े को रोकना है।
संविधान और कानून के अनुरूप लिया गया फैसला
निर्वाचन आयोग ने अपने बयान में कहा कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के तहत उठाया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (डब्ल्यूपी सिविल संख्या 177/2023) के अनुरूप इस प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।
महत्वपूर्ण बैठक में बनी सहमति
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी समेत गृह मंत्रालय, विधायी विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के सचिवों और यूआईडीएआई (UIDAI) के सीईओ ने भाग लिया। इस बैठक में आधार-EPIC लिंकिंग को लेकर तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई।
फर्जी वोटरों पर लगेगी लगाम
चुनाव आयोग के अनुसार, इस प्रक्रिया से डुप्लिकेट और फर्जी वोटर आईडी की पहचान करने में मदद मिलेगी। इससे एक ही व्यक्ति द्वारा कई जगह वोट डालने की संभावना भी खत्म होगी और मतदाता सूची अधिक सटीक और स्वच्छ बन सकेगी।
तीन महीने में बदले जाएंगे डुप्लिकेट EPIC नंबर
हाल ही में चुनाव आयोग ने फैसला किया था कि जिन मतदाताओं के पास डुप्लिकेट EPIC नंबर हैं, उन्हें अगले तीन महीनों के भीतर नए EPIC नंबर जारी किए जाएंगे। आयोग ने स्पष्ट किया कि डुप्लिकेट नंबर का मतलब यह नहीं कि वह वोटर फर्जी है, बल्कि यह तकनीकी त्रुटि भी हो सकती है।
तकनीकी विशेषज्ञों के साथ जल्द शुरू होगी प्रक्रिया
यूआईडीएआई और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही आधार और EPIC को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। इससे मतदाता पहचान की पुष्टि और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।
सरकार पहले भी ले चुकी है ऐसे कदम
इससे पहले सरकार ने पैन कार्ड को आधार से जोड़ने का निर्णय लिया था, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी पर लगाम लगाने में मदद मिली। अब वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का निर्णय चुनावी प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
आधार-EPIC लिंकिंग के तकनीकी पहलुओं पर विचार-विमर्श जारी है, और विशेषज्ञों की सहमति के बाद इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। हालांकि, यह प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी या अनिवार्य, इस पर अभी अंतिम निर्णय आना बाकी है।