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सोशल मीडिया प्रचार पर चुनाव आयोग की अब रहेगी पैनी नजर : असत्यापित विज्ञापन और भ्रामक दावे प्रतिबंधित, नियम तोड़ने पर होगी कार्रवाई

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की गतिविधियों पर चुनाव आयोग की पैनी नजर रहेगी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रचार सामग्री, विज्ञापन, और पोस्टों की सख्त निगरानी की जा रही है। चुनाव आचार संहिता के तहत किसी भी प्रकार की झूठी खबरें, नफरत भरे भाषण, रक्षाकर्मियों की तस्वीरें, या असत्यापित सामग्री पोस्ट करना प्रतिबंधित है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी राजनीतिक विज्ञापनों को पहले संबंधित अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी। इसके साथ ही प्रत्याशियों को नामांकन के समय अपनी ईमेल आईडी और अधिकृत सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी देना अनिवार्य होगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, और यूट्यूब ने भी चुनावी सामग्री की निगरानी का आश्वासन दिया है। यदि कोई सामग्री शांति और सामाजिक सौहार्द को बाधित करती पाई गई तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। आयोग का यह कदम चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम साबित होगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। चुनाव आयोग ने इस काम की जिम्मेदारी दिल्ली चुनाव कार्यालय को सौंपी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिए जा रहे विज्ञापनों, प्रचार सामग्री और पोस्टों का सूक्ष्म निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि चुनाव आचार संहिता का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

सोशल मीडिया पर बढ़ता खर्च और आपत्तिजनक सामग्री पर रोक

राजनीतिक दल और प्रत्याशी सोशल मीडिया को प्रचार का प्रमुख साधन बना रहे हैं। इसके चलते आपत्तिजनक पोस्ट, भारी खर्च और वादों से जुड़े भ्रामक दावों पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया पर चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

सोशल मीडिया को आचार संहिता के दायरे में लाने का निर्णय

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में इसे चुनाव आचार संहिता के दायरे में लाया गया। तब से चुनाव आयोग ने डिजिटल माध्यमों के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, व्हाट्सएप, इन्स्टाग्राम, स्नेपचैट जैसे प्लेटफॉर्म्स को इन दिशा-निर्देशों के अंतर्गत रखा गया है।

नए दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए सोशल मीडिया प्रचार से जुड़े नियम सख्त कर दिए हैं।

  1. ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी: प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करते समय अपनी ईमेल आईडी और अधिकृत सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी देनी होगी।
  2. विज्ञापन की मंजूरी: किसी भी इंटरनेट आधारित माध्यम पर राजनीतिक विज्ञापन देने से पहले चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत अधिकारी से मंजूरी अनिवार्य है।
  3. प्रतिबंधित सामग्री:

👉 झूठी खबरें (Fake News)

👉 नफरत भरे भाषण (Hate Speech)

👉 रक्षाकर्मियों की तस्वीरों का उपयोग

👉 असत्यापित विज्ञापन

किसी भी प्रकार की सामग्री जो चुनावी प्रक्रिया बाधित करे या शांति और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाए।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भूमिका

फेसबुक और गूगल जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए कंटेंट की निगरानी का आश्वासन दिया है। इनके एल्गोरिदम और मानव संसाधन सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी आपत्तिजनक सामग्री समय पर हटाई जाए।

चुनाव में पारदर्शिता और बराबरी का प्रयास

चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और सभी राजनीतिक दलों को बराबरी का अवसर प्रदान करना आवश्यक है। सोशल मीडिया के माध्यम से चुनावी कानूनों का उल्लंघन रोका जाएगा और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जाएंगे।

संभावित कार्रवाई

चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर संबंधित राजनीतिक दल या प्रत्याशी पर कार्रवाई की जाएगी।

उनकी सामग्री को तुरंत हटाया जाएगा।

गंभीर मामलों में उम्मीदवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

KK Sagar
KK Sagar
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....

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