,हजारीबाग के बड़कागांव और आसपास के इलाकों में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। इचाक, बरही, बरकट्ठा, चूरचू और दारू प्रखंड के गांवों में हालात भयावह हैं। रात होते ही करीब 25 हाथियों का झुंड आबादी वाले इलाकों में घुस जाता है। खेतों में लगी धान, मक्का और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। हाथियों ने अब तक लगभग 20 कच्चे मकानों को भी तोड़ दिया है।

ग्रामीणों का कहना है कि वे रात-रात भर जागकर अपने घर और खेतों की रखवाली कर रहे हैं। बच्चों और महिलाओं में डर का माहौल है। कई परिवारों ने खेतों में जाना छोड़ दिया है। स्कूल जाने वाले बच्चों को भी एहतियातन घर में ही रखा जा रहा है।
वन विभाग की ओर से हाथियों को जंगल की ओर वापस भेजने की कोशिशें की जा रही हैं। वन पदाधिकारी ए. के. परमार ने बताया कि झुंड को चतरा बॉर्डर की ओर मोड़ा गया है। विभाग की त्वरित कार्यबल (QRT टीम) रोज शाम सात बजे से तैनात रहती है। ग्रामीणों को पटाखे, मशाल और ढोल-नगाड़ों के जरिए हाथियों को भगाने की सलाह दी गई है, लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि हाथियों के पास न जाएं और न ही वीडियो बनाने के चक्कर में जान जोखिम में डालें।




पिछले एक साल में हाथियों के हमले में करीब 22 लोगों की मौत हो चुकी है। वन विभाग ने प्रभावित किसानों और ग्रामीणों के लिए मुआवजे की भी घोषणा की है। खेत की फसल बर्बाद होने पर ₹130 प्रति डिसमिल, मकान टूटने पर ₹10,000 और अनाज नष्ट होने पर ₹2600 प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। मुआवजे का सर्वे गांव के मुखिया और वन विभाग की टीम मिलकर करेगी।
वन विभाग ने लोगों से शराब बनाने से भी परहेज करने की अपील की है। विभाग का कहना है कि महुआ की शराब की गंध हाथियों को आकर्षित करती है, जिससे वे बार-बार गांव की ओर लौटते हैं।
जिला प्रशासन से गांवों में सोलर लाइट और हाई मास्ट लाइट लगाने की भी मांग की गई है ताकि हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखी जा सके और समय रहते कार्रवाई हो।
वन विभाग ने कहा है कि जंगल और वन्यजीवों के साथ छेड़छाड़ से हालात और बिगड़ सकते हैं। इंसान और जानवरों के बीच टकराव रोकने के लिए समझदारी और संयम की जरूरत है।

