जिले में कई अवैध क्रशर का हो रहा है संचालन : कुछ वैध क्रशर की आड़ में हो रहा है अवैध क्रशर का खेल
खुलेआम पहाड़ काटकर पत्थर का हो रहा है खनन
बलियापुर के मोको, दूधिया, पलानी सहित अन्य स्थानों पर कई अवैध पत्थर खदान
मिरर मीडिया : झारखंड खनिज सम्पदा से भरा राज्य है। जहाँ कोयला, अबरख, पत्थर सहित कई खनिज पदार्थ भारी मात्रा में उपलब्ध है पर इसका सही मायने में उपयोग और इससे होने वाले राजस्व राज्य सरकार को नहीं मिल पा रही है। लगातार अवैध खनन के मामले उजागर होते रहें है। इसी क्रम में ED द्वारा भी छापेमारी की जा रही है और पूछताछ भी जारी है कई अधिकारी भी इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं पर अभी भी अवैध खनन का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। आपको बता दें कि धनबाद जिले में कुछ वैध लीज के आधार पर दर्जनों अवैध क्रशर चल रहे हैं। लिहाजा बालू व पत्थर के अवैध खनन के चलते नदियों का भी दायरा सिमटता जा रहा है। कई इलाकों में 24 घंटे की पाली में काम होता है पहाड़ काटकर पत्थर का खनन होता है कहीं दिन के उजाले तो कहीं रात के अंधेरे में यह काम चल रहा है।

खुलेआम हो रहे पत्थर की खुदाई के गोरखधंधे में करोड़ों अरबों रुपए का खेल हो रहा है जिसमें कई अधिकारी भी शामिल हैं इससे पर्यावरण और जनजीवन को नुकसान होने के साथ-साथ सरकार को राजस्व की भी हानि हो रही है। अधिकांश क्रशर संचालकों के पास प्रदूषण नियंत्रण का एनओसी तक नहीं है। धनबाद जिले के गोविंदपुर तोपचांची टुंडी व बलियापुर में दर्जनों क्रशर चल रहे हैं इनमें से अधिकांश क्रशर संचालकों के पास खनन विभाग का लीज नहीं है।
दिन के बजाय रात में होता है पत्थर का उत्खनन
झारखंड सरकार द्वारा अवैध माइनिंग पर रोक लगाने के निर्देश के बाद बलियापुर में पत्थर के अवैध काम करने वाले दिन के वजाय रात में अवैध खनन करते है मजदूरों को रात में काम पर लगाया जाता है अवैध खनन का कारोबार करने वाले लोग निकाले गए पत्थर को क्रशर तक रात में ही भेजते हैं और वहां से गीट्टी की ढुलाई की जाती है। रात होते ही बलियापुर के माको दूधिया ,पलानी आदि जगह में संचालित अवैध माइन्स में काम शुरू हो जाता है।
बलियापुर प्रखंड के मोको में 2 खादान ऐसी है जहां पानी भरा हुआ है लगातार कई सालों से अवैध खनन होने के कारण पहाड़ तालाब में बदल चुका है यहां से पत्थर निकालकर जगह-जगह स्टॉक किया जाता है बलियापुर के मोको में माइन्स जाने वाले रास्ते में पत्थर के कई स्टॉक दिख जाएंगे अंधेरा होने पर ट्रैक्टर से पत्थरो को क्रशर भेजा जाता है जहां से गिट्टी बनाकर रात में बाहर भेज दिया जाता है।
टुंडी के बराकर नदी से भी होता है पत्थरो का अवैध खनन
टुंडी के बराकर नदी पर बालू माफियाओं के बाद पत्थर माफियाओं की भी बुरी नजर लग गई है 5 से 6 मजदूर मिलकर एक ट्रैक्टर पत्थर तोड़ते हैं खनन विभाग की नजर इस तरफ़ आज तक नहीं पड़ी इन पत्थरो का खुलेआम पुल पुलिया में प्रयोग हो रहा है। खनन विभाग द्वारा लिए गए लीज की आड़ में आसपास के इलाकों में भी पहाड़ों की कटाई जोरों पर है पहाड़ को काटकर निकाले जा रहे हैं पत्थर की ढुलाई में परेशानी ना हो तथा ट्रांसपोर्टेशन लागत कम हो इसलिए समीपवर्ती इलाकों में ही क्रशर मशीन लगाई जा रही है। बहरहाल जहाँ पत्थरों के अवैध खनन से खेत तो बंजर हो रहे हैं राज्य सरकार को प्रतिमाह करोड़ो रुपए के राजस्व का भी नुकसान भी हो रहा है। वहीं इसके अधिकारी भी चुप्पी साढ़े हैं। अब देखना ये है कि सरकार, खनन विभाग और इससे सम्बंधित अधिकारी कब इसपर एक्शन लेते है।