प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के लिए ‘सॉफ्टवेयर जांच’ से पकड़े जाएंगे फर्जी सर्टिफिकेट

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : शहर के प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी से लेकर सभी कक्षाओं में एडमिशन के लिए आवेदन करने वाले बच्चों के डेटा की जांच अब सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएगी। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि जनवरी के पहले सप्ताह से लॉटरी प्रक्रिया शुरू होगी। इस कदम का मुख्य उद्देश्य एडमिशन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और फर्जी सर्टिफिकेट के इस्तेमाल पर रोक लगाना है।

मुख्य बिंदु
सॉफ्टवेयर से पकड़े जाएंगे फर्जी सर्टिफिकेट: कई अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे स्कूलों का फर्जी सर्टिफिकेट दिलाकर उसी स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन कर देते हैं। सॉफ्टवेयर, ऐसे बच्चों के नाम और माता-पिता के नाम के आधार पर फर्जीवाड़ा पकड़ने में मदद करेगा।

लॉटरी से पहले होगी सॉफ्टवेयर की जांच: शिक्षा विभाग ने इस सॉफ्टवेयर की गहन जांच करने का निर्णय लिया है। फुलप्रूफ होने के बाद ही इसे लॉटरी प्रक्रिया के दौरान इस्तेमाल किया जाएगा।

पारदर्शिता के लिए रैंडम जांच: जानकारी के अनुसार, 5 से 16 जनवरी के बीच सभी स्कूलों में लॉटरी होगी। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आईटी एक्सपर्ट स्कूलों के सॉफ्टवेयर की रैंडम जांच करेंगे।

निगरानी समिति का गठन: अभिभावकों की लगातार शिकायत थी कि लॉटरी में गड़बड़ी की जा रही है। इन शिकायतों को देखते हुए विभाग की ओर से पर्यवेक्षकों को भेजा जाएगा और प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।

लॉटरी में गड़बड़ी पर कड़ा रुख
जिला शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में नकल रोकने के लिए कमर कस ली है। लॉटरी प्रक्रिया की समय-सीमा तय कर दी गई है। यह इसलिए आवश्यक हो गया क्योंकि लगभग 95 प्रतिशत प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन लॉटरी होती है। हाल ही में ऐसी एजेंसियों द्वारा गड़बड़ी किए जाने की शिकायतें मिली हैं, जिन्होंने स्कूलों के लिए लॉटरी प्रबंधन का काम किया था, जिसके बाद विभाग ने अब कड़ा एक्शन लेने का फैसला किया है।

महत्वपूर्ण तारीख
17 जनवरी को अंतिम रूप से लॉटरी का रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।

क्या है सॉफ्टवेयर जांच का तरीका?
सॉफ्टवेयर यह जांच करेगा कि सफल हुए किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन नंबर या विवरण पहले से किसी लॉटरी के फाइनल राउंड में फीड किया गया था या नहीं। अगर वह पहले ही सफल हो चुका है, तो उसे दोबारा लॉटरी में मौका नहीं मिलेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ही बच्चे को कई जगह एडमिशन न मिल सके और जरूरतमंद बच्चों को मौका मिले।

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