जमशेदपुर : पटमदा प्रखंड के मधुसुदन गोराई व सुभाष गोराई विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर व्यवसायिक रूप से सब्जी की खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। मधुसुदन गोराई बताते हैं कि पिता का देहांत काफी छोटी उम्र में ही हो गया जिसके बाद किसी तरह से मैट्रिक तक पढाई पूरा किया और रोजगार तलाशने लगे। कुछ दिनों तक आदित्यपुर के एक होटल में दैनिक मजदूर के रूप में कार्य किया हालांकि इस आय से उनके परिवार का भरन पोषण सही तरीके से नही हो पा रहा था। होटल की नौकरी छोड बंगाल चले गये जहां उन्होने खेतों में दैनिक मजदूर के रूप में भी काम किया। कोरोना संक्रमण के कारण जब वापस इन्हें अपना गांव आना पड़ा तो गांव में ही अपने एक एकड़ पुस्तैनी जमीन में खेती करने का मन बनाया और अपने एक परिचित सुभाष गोराई से मिलकर दोनों ने लीज पर जमीन लेकर खेती करना शुरू किया। आज अपने क्षेत्र में इनकी पहचान प्रगतिशील कृषक के रूप में होती है जो पारंपरिक तरीके के खेती पर आश्रित किसानों को नई राह दिखा रहे हैं।

सिंचाई के लिए सरकारी योजना का लिया लाभ तथा नई तकनीक के लिए पदाधिकारियों से मिला मार्गदर्शन
जमीन लीज में लेकर खेती करने के दौरान इन दोनों किसानों को सिंचाई व तकनीकी रूप से खेती करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। मधुसुदन गोराई व सुभाष गोराई प्रखंड विकास पदाधिकारी, पटमदा व जिला उद्यान पदाधिकारी से मिले जहां से उन्हे मनरेगा योजना से सिंचाई कुआं व उद्यान विकास की योजना के तहत गुणवत्तायुक्त बिचड़ा उत्पादन ईकाई का लाभ व प्रशिक्षण मिला। उक्त ईकाई में स्वस्थ पौधे तैयार कर दोनों अपने खेतो में लगाते हैं साथ ही प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सौर उर्जा चालित पंप का भी लाभ मिला जिससे खेतों की सिंचाई में सहूलियत हुई। मधुसुदन गोराई व सुभाष गोराई उक्त सरकारी योजना का लाभ लेकर विभिन्न प्रकार की सब्जी जैसे फूल गोभी, पत्ता गोभी, खीरा, मिर्च, टमाटर आदि का खेती कर रहे हैं। कल तक ये दोनों कृषक जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी और पलायन को मजबूर थे वही आज प्रतिदिन 40-50 कृषक मजदूरों को गांव में ही रोजगार मुहैया करा रहे हैं।
जिला उद्यान पदाधिकारी मिथिलेश कुमार कांलिदी व इनके सहयोगी मुकेश कुमार द्वारा क्षेत्र भ्रमण कर नई तकनीक से खेती करने के साथ-साथ सिंचाई जल के बचाव के लिए अनुदान पर उपलब्ध प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनांतर्गत ड्रिप सिंचाई को भी अपनाने के लिए सुझाव दिया गया है। कृषक सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से मदद पाकर काफी खुश हैं तथा अन्य किसान जो पारंपरिक तरीके की खेती पर आश्रित हैं उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर उन्नत तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।