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24 साल से रजवार बस्ती के रैयतधारी BCCL से मुआवजे और नियोजन की आस में धधकती आग पर जीने को मजबूर है। बता दें कि झरिया विधान सभा क्षेत्र के दोबारी रजवार बस्ती के रैयतो से 24 साल पहले बीसीसीएल ने कोयला उत्पादन के नाम पर जमीन ली थी लेकिन आज तक रैयतो को जमीन के बदले ना तो मुआवजा मिला ना ही नियोजन और तो और रैयतो को पुनर्वास भी नही किया जा रहा है। नतीज़ा रजवार बस्ती के रैयत मुआवजा और नियोजन की आस में धधकती आग, विषैले गैस और दरार पर मौत के बीच गुजर बसर करने को मजबूर हैं।
रजवार बस्ती के रैयतो पर नहीं पड़ी किसी की नजर : कभी घट सकती है कोई बड़ी दुर्घटना
घरों से हो रहे गैस रिसाव, घर की जर्जर अवस्था में पड़ा होना तथा कभी भी जमींदोज की दुर्घटना का शिकार होना, इस दर्द भरी जीवन गुजारने वाले रजवार बस्ती के रैयतो पर न तो जिला प्रशासन की नजर है और न ही जनप्रतिनिधियों की, बीसीसीएल ने तो पहले से ही अपनी आंखें बंद कर ली है, अब मानसून में अगर जमींदोज जैसी बड़ी दुर्घटना घटती है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा?
कोयला खुदाई के लिए BCCL नें ली जमीन, लेकिन नहीं दिया कोई मुआवजा
रजवार बस्ती के महिला और पुरुषो का कहना है कि बीसीसीएल ने कोयला खुदाई के लिए जमीन तो ले ली परंतु न तो मुआवजा मिला, न ही नियोजन,और न ही बीसीसीएल सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास कर रही है, अगर इस पर राज्य सरकार, जिला प्रशासन,जनप्रतिनिधि और बीसीसीएल ध्यान नहीं देती है तो पुरखों की जमीन को बचाते और मुआवजा व नियोजन के आस में कहीं जमींदोज न हो जाए। शायद उसके बाद ही किसी की आंखे खुलेगी।
जल्द ही लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए
वही रजवार समाज के ऊपर बीत रहे दर्द को महसूस करने वाले रजवार समाज के अध्यक्ष निर्मल रजवार बस्ती पहुंचे और आश्वासन देते हुए कहा कि राज्य सरकार, विधायक,जिला प्रशासन से यह मांग करते है कि जितना जल्द हो सके समाज के लोगो को सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए, उसके बाद मुआवजा और नियोजन की बात कि जाएगी।