गयाजी में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2025 में देश–विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान कर रहे हैं। इसी क्रम में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में इस बार अद्भुत दृश्य देखने को मिला। रूस–यूक्रेन युद्ध के बीच गयाजी में एक साथ बैठकर दोनों देशों के श्रद्धालुओं ने पिंडदान किया और विष्णु भगवान काआशीर्वाद लिया। गुरुवार को रूस, यूक्रेन, अमेरिका और स्पेन से आए 17 विदेशी श्रद्धालुओं ने फल्गु नदी किनारे देवघाट पर पिंडदान और तर्पण किया।

17 विदेशी श्रद्धालुओं ने किया तर्पण
6 सितंबर से शुरू हुआ विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 21 सितंबर तक चलेगा। इस अवधि में देश–विदेश से लाखों की संख्या में हिन्दू सनातन धर्मावलंबी गया पहुंचकर अपने पितरों के मोक्ष की कामना के साथ पिंडदान, तर्पण और अन्य श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं। गुरुवार को गया की फल्गु नदी के किनारे देवघाट पर रूस, यूक्रेन, अमेरिका और स्पेन से आए 17 विदेशी श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए पिंडदान और तर्पण किया। गयापाल पंडा मनोज लाल टइयां के नेतृत्व में यह कर्मकांड सम्पन्न कराया गया।
भारतीय परिधान में तर्पण करते दिखे विदेशी श्रद्धालु
गयापाल पंडा मनोज लाल टइयां के नेतृत्व में सम्पन्न इस अनुष्ठान में 3 पुरुष और 14 महिलाएं शामिल हुईं। सभी विदेशी श्रद्धालु भारतीय परिधान में सजे-धजे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चार के बीच बैठकर पिंडदान करते दिखे। विदेशी श्रद्धालुओं ने बताया कि गयाजी का विष्णुपद मंदिर और पितृपक्ष मेला हिन्दू संस्कृति का जीवंत प्रतीक है, जहां आकर वे भारतीय परंपरा को आत्मसात कर पा रहे हैं।
25 लाख 19 हजार तीर्थयात्री गयाजी पहुंचे
जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 25 लाख 19 हजार तीर्थयात्री गयाजी में श्राद्ध कर चुके हैं। इस दौरान देवघाट, अक्षयवट, रामशिला और प्रेतशिला वेदियों पर लगातार हजारों की संख्या में देश–विदेश से आए श्रद्धालु पिंडदान कर रहे हैं। खास बात ये है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बावजूद दोनों देशों के श्रद्धालु भारतीय परिधान पहनकर यहां पहुंचे और अपने पितरों को याद करते हुए भावुक हो गए।

