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ग्लोबल वार्मिंग ने बढ़ाई काल बैसाखी की तबाही, पूर्वी भारत में आफत बनकर टूटेगी आंधी-बारिश

डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि ने तबाही मचा दी है। खेतों में लगी फसलें चौपट हो गईं, कई घरों को नुकसान पहुंचा और जान-माल की हानि की भी खबरें सामने आईं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ शुरुआत है। मौसम विभाग (IMD) का अनुमान है कि इस बार अप्रैल-मई के दौरान काल बैसाखी की घटनाएं सामान्य से कहीं अधिक और अधिक घातक हो सकती हैं।

गर्म-ठंडी हवाओं के टकराव से बनती है ‘काल बैसाखी’

बैसाख के महीने में मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन को ही ‘काल बैसाखी’ कहा जाता है। यह तब होता है जब दक्षिण से गर्म हवाएं और उत्तर-पूर्व से ठंडी हवाएं टकराती हैं। इस टकराव से तेज हवाएं, बिजली, ओले और भारी वर्षा होती है। सामान्यतः यह घटना हर साल होती है, परंतु ग्लोबल वार्मिंग ने इसके स्वरूप को और भी भयावह बना दिया है।

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जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही है घटनाओं की तीव्रता

पूर्वानुमान के अनुसार इस बार काल बैसाखी पहले की तुलना में अधिक बार और अधिक तीव्र रूप में दस्तक दे सकती है। विशेष रूप से बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इसकी चपेट में आ सकते हैं। बिहार और बंगाल में तो यह पहले ही आपदा का रूप ले चुकी है।

‘पश्चिमी झंझा’ के नाम से भी जाना जाता है यह तूफान

IMD कोलकाता के पूर्व निदेशक एवं काल बैसाखी विशेषज्ञ एके सेन के अनुसार, “काल बैसाखी के दौरान हवा की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होती है। इस कारण इसे ‘पश्चिमी झंझा’ भी कहा जाता है। इसमें तेज हवा, भारी बारिश और बड़े आकार के ओले गिरते हैं जो व्यापक नुकसान पहुंचाते हैं।”

सावधानी ही सुरक्षा का उपाय

मौसम विज्ञानियों ने लोगों को सचेत रहने की सलाह दी है। विशेष रूप से किसान, ग्रामीण इलाकों के निवासी और खुले क्षेत्रों में काम करने वाले लोग सतर्क रहें। IMD की ओर से समय-समय पर जारी किए जा रहे अलर्ट और सुझावों का पालन करना आवश्यक है।

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