नई दिल्ली: भारत सरकार ने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग को सुरक्षित बनाने के लिए एक नया तरीका अपनाने का फैसला किया है। आईटी सेक्रेटरी एस. कृष्णन ने एक इंटरव्यू में बताया कि अब बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने से पहले उनके माता-पिता की लिखित अनुमति अनिवार्य होगी। यह कदम बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए उठाया गया है।
पूरी तरह से प्रतिबंध की जगह संतुलित समाधान
आईटी सेक्रेटरी ने कहा कि बच्चों को सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रखने के बजाय, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह फैसला हर समाज को खुद करना होता है। भारत जैसे देश में, जहां बहुत सी पढ़ाई ऑनलाइन होती है, सोशल मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पर व्यापक चर्चा चल रही है कि बच्चों को सुरक्षित तरीके से सोशल मीडिया उपयोग की छूट दी जाए।
सोशल मीडिया कंपनियों का रुख बेहतर
कृष्णन ने कहा कि अब सोशल मीडिया कंपनियां गैरकानूनी कंटेंट को तेजी से हटा रही हैं। चाहे यह उनकी अपनी नीतियों के तहत हो या सरकार के निर्देशों पर। “अब कंपनियां नियमों का बेहतर तरीके से पालन कर रही हैं। कई मामलों में ब्लॉक करने की जरूरत नहीं पड़ती; वे खुद ही कार्रवाई करती हैं,” उन्होंने कहा।
समाज की भागीदारी जरूरी
उन्होंने कहा कि यह समाज पर निर्भर करता है कि वह बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग के लिए क्या मानदंड तय करता है। “हम सिर्फ तकनीकी समाधान दे सकते हैं, लेकिन बच्चों को कितनी आजादी मिलनी चाहिए, यह समाज को तय करना होगा। इसके बाद ही सरकार अंतिम निर्णय लेगी।”
पूरी तरह से प्रतिबंध की संभावना नहीं
उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का कोई सुझाव अब तक सामने नहीं आया है। “हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि बच्चों को होने वाले नुकसान को कैसे रोका जाए, लेकिन पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने पर चर्चा नहीं हुई है।”
सरकार का यह कदम बच्चों की सुरक्षा और ऑनलाइन शिक्षा के संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह माता-पिता और समाज को बच्चों के ऑनलाइन भविष्य को सुरक्षित बनाने में बड़ी जिम्मेदारी निभाने का मौका देता है।