मिरर मीडिया : गोविंदपुर अंचल कार्यालय में फर्जी डीड तैयार कर धनबाद के एक कोयला व्यवसायी की पत्नी के नाम पर साहिबगंज रोड स्थित पाथुरिया मौजा में छह डिसमिल जमीन की दाखिल खारिज कर दी गई। अंचल कार्यालय का गड़बड़ा झाला देखिए जिस डीड 1482 (दलील) का उल्लेख करते हुए दाखिल खारिज की प्रक्रिया अपनाई गई यह न तो गोविंदपुर निबंधन कार्यालय से बना है और न ही धनबाद निबंधन कार्यालय से। इसके बाद भी मात्र 32 दिनों के अंदर जमीन की दाखिल खारिज कर दी गई है।
👉धनबाद व गोविंदपुर के निबंधन कार्यालय से इस जमीन की बिकी ही नहीं
बता दें कि गोविंदपुर अंचल कार्यालय के पाथुरिया मौजा के खाता संख्या 89, प्लाट संख्या-371 में छह डिसमिल जमीन की खरीदगी दिखाई गई । जमीन बेचने वालों में फिरोज असारी, राजेश कुमार व दीपक कुमार का नाम बताया गया। जबकि धनबाद व गोविंदपुर के निबंधन कार्यालय से इस जमीन की बिकी ही नहीं हुई है। इधर 15 जून 2022 को दाखिल खारिज केस नंबर 2141 (2022-23) के तहत गोविंदपुर अंचल कार्यालय में उक्त छह डिसमिल जमीन की दाखिल खारिज के लिए आनलाइन आवेदन किया जाता है। 27 जून को डिलिंग अस्सिटेट प्रमानंद प्रसाद के लॉगिन में आवेदन जाता है। 30 जून को राजस्व कर्मचारी दिव्या सिंह आवेदन को दाखिल खारिज के लिए पास करती हैं। दो जुलाई 2022 को अंचल निरीक्षक यशवंत कुमार सिन्हा भी आवेदन को पास कर देते हैं और 14 जुलाई 2022 को अंचल अधिकारी रामजी वर्मा उक्त जमीन की दाखिल खारिज कर देते हैं। पुनः 17 जुलाई 2022 को शुद्धि पत्र निर्गत होता है और 32 दिनों के अंदर दाखिल खारिज का निष्पादन कर दिया जाता है।
👉क्या है नियम :
किसी भी जमीन की दाखिल खारिज के लिए आनलाइन आवेदन किया जाता है। तब वह सीओ के लॉगिन में दिखता है। उनके स्तर से अग्रसारित के बाद आपरेटर के लॉगिन व डिलिंग अस्सिटेंट के लॉगिन से होते हुए राजस्व कर्मचारी के लॉगिन में जाता है। इसके बाद दाखिल खारिज करने की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। राजस्व कर्मचारी के अग्रसारित होने के बाद अंचल निरीक्षक के लॉगिन में फॉरवर्ड होता है। इसके बाद अंचल निरीक्षक की ओर से आवेदन को अग्रसारित करने बाद उस जमीन की सीओ दाखिल खारिज करते हैं।
मगर उक्त मामले में बिना कागजातों की जांच किए ही एक दूसरे के लॉगिन में आवेदन को अग्रसारित कर जमीन की दाखिल खारिज करना वो भी मात्र 32 दिनो में कहीं न कही गोविंदपुर अंचल कार्यालय के कर्मचारियों की कार्यशेली सहित कई गड़बड़झाला को उजागर करता है।
हालांकि जांच के क्रम में यह बाते भी सामने आई कि सादे कागज में क्रेता-विक्रेता का नाम अंकित कर उक्त जमीन की दाखिल खारिज करा ली गई है। इसमें न तो रजिस्ट्री कार्यालय का सीरियल नंबर है और न ही दलील संख्या। न तो रजिस्टार का हस्ताक्षर है और न ही रजिस्ट्री कार्यालय का मुहर। फिर भी इस जमीन की कैसे दाखिल खारिज कर दी गई यह अपने आप में एक सवाल है, जबकि कई ऐसे लोग हैं जो दुरुस्त दस्तावेज को लेकर अंचल कार्यालयों का चक्कर काटते रहते हैं फिर भी उनके कार्यों का निष्पादन नहीं होता है इससे साफ जाहिर होता है की गोविंदपुर अंचल कार्यालय में जमकर भ्रष्टाचार व्याप्त है।
हालांकि पूरे मामले पर गोविंदपुर अंचल अधिकारी राम जी वर्मा ने मिरर मीडिया से वार्ता कर कहा कि मामला संज्ञान में आते ही संबंधित कर्मचारी को शो कॉज किया गया है एवं एलआरडीसी कोर्ट में पत्र प्रेषित कर उक्त दाखिल खारिज को निरस्त करने हेतु आग्रह किया गया है।