धनबाद और बोकारो जिले में फर्जी कंपनियों द्वारा 17.89 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ है। राज्य कर विभाग (सेल्स टैक्स) की ओर से फेक रजिस्ट्रेशन के खिलाफ चलाए गए अभियान में यह मामला सामने आया। जांच के दौरान 51 कंपनियों में से 8 कंपनियों का कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं पाया गया। इन फर्जी कंपनियों ने कोयला खरीद-बिक्री के नाम पर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया।
वाणिज्यकर अधिकारियों ने बताया कि कागजों पर कोयला खरीद-बिक्री दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लिया गया। इन कंपनियों ने टैक्स अदायगी को आईटीसी के साथ समायोजित दिखाया, जिससे सरकार को 17.83 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इन फर्जी कंपनियों ने नकली पैन कार्ड, फेक रेंट एग्रीमेंट और अन्य दस्तावेजों के जरिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया था।
कैसे की गई धोखाधड़ी?
विभागीय जांच में पाया गया कि इन फर्जी कंपनियों ने नकली रेंट एग्रीमेंट, फर्जी पैन नंबर और अन्य दस्तावेजों का उपयोग कर ऑनलाइन जीएसटी पंजीकरण कराया। इन कंपनियों के नाम पर खदानों से अवैध रूप से निकाले गए कोयले का ई-वे बिल (परमिट) तैयार किया गया। यह कोयला या तो राज्य के बाहर भेजा गया या स्थानीय ईंट भट्टों में खपाया गया।
चोरी का तरीका
कंपनियों ने फर्जी कागजी लेन-देन के जरिए जीएसटी का भुगतान दिखाया और इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया। इस प्रक्रिया में सरकार को मिलने वाला टैक्स आईटीसी के साथ समायोजित कर लिया गया, जिससे कुल 17.83 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।
कानूनी कार्रवाई शुरू
इन फर्जी कंपनियों के खिलाफ विभाग ने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। जिन असली कंपनियों ने इनसे कोयला खरीदा है, उन्हें नोटिस भेजा जा रहा है।
फर्जी कंपनियों की सूची
- एपी ट्रेडर्स (अमित कुमार, चिरकुंडा)
- मेसर्स एतवारी इंटरप्राइजेज (एतवारी सिंह, धनबाद)
- एआर ट्रेडर्स (रितेश भगत, बोकारो)
- एसएन इंटरप्राइजेज (अभिषेक शर्मा, झरिया)
- आदित्य कंस्ट्रक्शन (राजू कुमार सिंह, बोकारो)
- शिवशक्ति इंटरप्राइजेज (चंदन कुमार, बोकारो)
- बंशल इंटरप्राइजेज (दीपक कुमारी, बोकारो)
- आरआर ट्रेडर्स (रितविक राज, धनबाद)
फर्जीवाड़े पर रोकथाम के लिए नई व्यवस्था
राज्य कर विभाग फर्जी रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने के लिए बायोमीट्रिक प्रणाली लागू कर रहा है। पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान बायोमीट्रिक डिटेल्स ली जाएंगी, जिससे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन करना असंभव होगा। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि यह कदम भविष्य में फर्जीवाड़े को रोकने में प्रभावी साबित होगा।