हजारीबाग: हजारीबागकी हृदय स्थली मानी जाने वाली झील परिसर की हालत इन दिनों बेहद दयनीय होती जा रही है। यह वही जगह है जहां हर दिन हजारों लोग सुबह-शाम मॉर्निंग और ईवनिंग वॉक के लिए आते हैं। शहर के कई शीर्ष पदाधिकारियों के सरकारी आवास भी झील के किनारे ही स्थित हैं। बावजूद इसके, झील परिसर की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

नगर निगम द्वारा झील किनारे लगाई गई बैठने की कुर्सियां सामाजिक तत्वों की शिकार बन चुकी हैं। एक साल भी पूरा नहीं हुआ और अधिकांश कुर्सियां टूट चुकी हैं या उसे पानी में धकेल दिया गया है हैं। झील की खूबसूरती बढ़ाने के लिए जो लाइटें लगाई गई थीं, वे भी या तो बंद पड़ी हैं या पूरी तरह से गायब हो चुकी हैं। अंधेरे के कारण चैन स्नैचिंग और छोटी-मोटी चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे स्थानीय लोग खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
स्थानीय लोगों का सवाल— प्रशासन कहां है?
हमारी टीम ने जब स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने खुलकर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि जब कुछ असामाजिक लोग झील की सुंदरता को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं, तब प्रशासन की जिम्मेदारी कहां खो जाती है?
नगर निगम पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। नागरिकों का कहना है कि झील के सौंदर्यीकरण पर हर साल लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन इन कार्यों की न तो सही निगरानी होती है, न ही कोई दीर्घकालिक योजना।
जिम्मेदार कौन?
अब बड़ा सवाल यह है कि इस बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन है?mआम जनता, जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाती है?जिला प्रशासन, जो सबकुछ देखते हुए भी चुप रहता है? या नगर निगम, जो खराब व्यवस्था पर आंख मूंद लेता है?
झील परिसर हजारीबाग की पहचान है। यदि इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो यह महज एक और उपेक्षित सरकारी योजना बनकर रह जाएगा। अब जरूरत है सतत निगरानी, जवाबदेही और नागरिक सहभागिता की।
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