मिरर मीडिया : लम्बे विरोध प्रदर्शन के बाद झारखंड की हेमंत सरकार ने धनबाद और बोकारो जिले से भोजपुरी और मगही भाषा को हटा दिया है। आपको बता दें कि झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के आंदोलन के आगे राज्य की हेमंत सोरेन सरकार को झुककर बड़ा निर्णय लेना पड़ा है। इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है जिसके मुताबिक अब जिलास्तरीय नियोजन में धनबाद और बोकारो जिले में भोजपुरी और मगही को मान्यता नहीं मिलेगी। झारखंड कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो जिले से बाहर करने की अधिसूचना जारी कर दी है। नई अधिसूचना लागू होने के साथ ही क्षेत्रीय भाषा के तौर पर भोजपुरी महज पलामू और गढ़वा में शामिल होगी। मगही को लातेहार, पलामू, गढ़वा एवं चतरा में क्षेत्रीय भाषा के तौर पर रखा गया है।
वहीं दूसरी तरफ दूसरी तरफ झारखंड के सभी 24 जिलों में उर्दू को मान्यता दी गई है। सभी जिलों में जिलास्तरीय नियुक्ति में उर्दू मान्य होगी। इसी के साथ इस भाषा के जानकार शिक्षित युवाओं के लिए इन दो जिलों में जिलास्तरीय नियोजन का रास्ता बंद होने जा रहा है।
गौरतलब है कि इस भाषा को जिलास्तरीय नियोजन से मान्यता समाप्त कराने के लिए एक महीने से ज्यादा समय से लगातार आंदोलन चल रहा था। झारखंड सरकार ने धनबाद और बोकारो में स्थानीय लोगों एवं राजनीतिक कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए क्षेत्रीय भाषा की सूची से मगही और भोजपुरी को बाहर कर दिया है। हालांकि अन्य जिलों में क्षेत्रीय भाषाओं को पूर्व के क्रम में ही रखा गया है।