रांची। हूल दिवस पर झारखंड के भोगनाडीह में आदिवासियों पर हुए लाठीचार्ज और आंसू गैस के इस्तेमाल को लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है। झारखंड बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा हमला बोला है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर एक तीखा बयान जारी करते हुए कहा,
“हेमंत सरकार आज जनरल डायर की भूमिका निभाती नजर आ रही है… जिस तरह जलियाँवाला बाग में बैसाखी मना रहे लोगों पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवाई थीं, उसी तरह हूल दिवस पर अपने शहीदों को याद कर रहे आदिवासियों पर लाठीचार्ज और आँसू गैस के गोले बरसाए गए।”
बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि हेमंत सरकार अब उन सभी आवाजों को कुचलना चाहती है जो आदिवासियों के अधिकारों की बात करती हैं। उन्होंने कहा,
“अब हेमंत जी ने तय कर लिया है कि जो भी उनके अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसे गिरफ़्तार कर डराया जाएगा। लेकिन वे भूल रहे हैं कि गिरफ़्तारियाँ हमें चुप नहीं करा सकतीं।”
मरांडी ने हेमंत सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का भी आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री आदिवासी समाज की असली समस्याओं से भाग रहे हैं। उन्होंने लिखा,
“हेमंत सोरेन डरते हैं कि अगर आदिवासी समाज ने बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ संगठित आंदोलन शुरू कर दिया तो उनका तुष्टिकरण का महल ढह जाएगा।”
उन्होंने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि जिस धरती पर सिद्धो-कान्हू जैसे वीर योद्धा पैदा हुए, वहां आदिवासियों का अपमान सहन नहीं किया जाएगा।
“मंचों पर आदिवासी प्रतीकों की बात करने वाले नेता, मैदान में उन्हीं प्रतीकों पर लाठी चलवा रहे हैं। लेकिन आदिवासी समाज न भूलेगा, न माफ़ करेगा। हर एक लाठी और अन्याय का हिसाब लिया जाएगा।”
बाबूलाल मरांडी के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। अब देखना होगा कि सरकार इस तीखे राजनीतिक प्रहार पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
गौरतलब है कि हूल दिवस के मौके पर अमर शहीद सिद्धो-कान्हू की जन्मभूमि भोगनाडीह में उस समय तनाव फैल गया जब सिद्धो-कान्हू पार्क में लगे ताले को शहीद के वंशज जंडल मुर्मू द्वारा तोड़े जाने के बाद आदिवासी ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। पूजा-अर्चना और उत्सव के माहौल के बीच पार्क का ताला टूटने की घटना से लोग भड़क उठे, जिससे पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया और पारंपरिक तीर-धनुष से हमला भी कर दिया। इस हमले में बरहरवा के एसडीपीओ समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और हवाई फायरिंग करनी पड़ी।
घटना के बाद पूरे भोगनाडीह गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और स्थिति अब नियंत्रण में है। प्रशासन पूरे मामले की जांच में जुट गया है।
गौरतलब है कि हूल दिवस हर वर्ष 30 जून को 1855 के संताल विद्रोह की स्मृति में मनाया जाता है, जिसमें सिद्धो-कान्हू मुर्मू ने ब्रिटिश हुकूमत और स्थानीय जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ बिगुल फूंका था। इस अवसर पर भोगनाडीह में हर साल श्रद्धांजलि कार्यक्रम, पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं, लेकिन इस बार विवाद और हिंसा की छाया इस ऐतिहासिक दिवस को प्रभावित कर गई।

