आय से अधिक संपत्ति मामला : अब हेमंत सरकार ने रघुवर कैबिनेट में पांच मंत्रियों की एसीबी से जांच कराने के दिये आदेश
मिरर मीडिया : झारखंड में बड़े पैमाने पर ED की लगातार जांच के बीच अब हेमंत सरकार पूर्व में भाजपा की रघुवर सरकार के 5 मंत्रियों कों कठघरे में खड़ा किया है। आपको बता दें कि हेमंत सोरेन सरकार ने रघुवर कैबिनेट में पांच मंत्रियों की आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच एसीबी से कराए जाने का आदेश दिया है। सरकार ने अपने आदेश में वर्ष 2020 में पंकज कुमार यादव की ओर से दी गई याचिका का हवाला दिया है। उक्त याचिका में पंकज कुमार यादव ने पूर्व मंत्री नीलकंठ मुंडा, रणधीर सिंह, नीरा यादव, लुईस मरांडी और अमर बावरी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग को लेकर 28 जनवरी 2020 को जनहित याचिका दाखिल की थी।
मात्र 5 सालों में पांचो मंत्रियों के दौ सौ से 12सौ % तक बढ़ी संपत्ति
याचिकाकर्ता पंकज कुमार यादव ने बताया कि उक्त याचिका में कहा गया है कि इन मंत्रियों ने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अपनी संपत्ति को लेकर चुनाव आयोग में शपथ पत्र दाखिल किया था। उसके बाद वर्ष 2019 में इन्होंने जो संपत्ति का ब्यौरा चुनाव आयोग में दाखिल किया था, उसमें 200 प्रतिशत से 12 सौ प्रतिशत संपत्ति बढी़ मिली है। इसलिए इस मामले की जांच एनसीबी से कराई जानी चाहिए।
साथ ही कहा कि, आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्व मंत्री बंधु तिर्की को सजा मिल चुकी है, उनकी संपत्ति 123 प्रतिशत ही बढी़ थी। ऐसे में इन मंत्रियों की संपत्ति में इससे ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। बता दें कि पंकज कुमार यादव के ही याचिका पर राष्ट्रीय खेल स्टेडियम में निर्माण की जांच सीबीआई कर रही है। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
जाने किस की संपत्ति कितनी अधिक बढ़ी
वर्ष 2014 में अमर बावरी की कुल संपत्ति 7.33 लाख थी। वही 5 साल बाद साल 2019 में 1118% की छलांग लगाकर 89.41 करोड़ पर पहुंच गई। वही रणधीर सिंह की संपत्ति वर्ष 2014 में 78.92 लाख से बढ़कर वर्ष 2019 में 5.06 करोड़ पर पहुंच गई। कुल बढ़त 541% की है।
वर्ष 2014 में रघुवर सरकार में मंत्री रही नीरा यादव की संपत्ति 80.59 करोड़ थी। वहीं वर्ष 2019 में 353 प्रतिशत बढ़ कर 3.56 करोड़ पहुंच गई।
लुईस मरांडी की संपत्ति 2014 में 2.25 करोड़ थी। वहीं 2019 में 303 प्रतिशत बढ़कर 9.06 करोड़ पर पहुंच गई। पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह की संपत्ति वर्ष 2014 में 1.46 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2019 में 4.35 करोड़ पर पहुंच गई। कुल बढ़त 198 प्रतिशत की है। बता दें कि याचिका चुनाव आयोग में दाखिल संपत्ति के ब्योरे के आधार पर दाखिल है।