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हेमंत सोरेन ने तोड़ा अर्जुन मुंडा का रिकॉर्ड, झारखंड में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रचा इतिहास

जाने सीएम बनने की कहानी और सियासी तकरार

झारखंड की राजनीति में एक नया इतिहास रचते हुए हेमंत सोरेन राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं। उन्होंने बीजेपी के अर्जुन मुंडा का रिकॉर्ड पीछे छोड़ते हुए 5 साल 396 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल कर नया मील का पत्थर स्थापित किया है।

हेमंत सोरेन अब तक चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उनके इस ऐतिहासिक रिकॉर्ड को लेकर राजनीतिक गलियारों में जहां एक ओर जश्न का माहौल है, वहीं विपक्ष ने इस मौके पर भी सियासी तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ा।

राजनीति में विरासत, संघर्ष और वापसी की कहानी

10 अगस्त 1975 को जन्मे हेमंत सोरेन को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के अगुआ रहे और तीन बार मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन उनका कोई कार्यकाल लंबा नहीं चल सका। वहीं हेमंत ने चार बार सीएम बनकर और सबसे लंबा कार्यकाल पूरा कर राज्य की राजनीति में एक नई मिसाल कायम की है।

हेमंत सोरेन के अब तक के चार कार्यकाल

  1. पहली बार: 13 जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 (झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन)
  2. दूसरी बार: 29 दिसंबर 2019 से 31 जनवरी 2024 (ED की गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा)
  3. तीसरी बार: 4 जुलाई 2024 को जेल से जमानत के बाद वापसी, चंपाई सोरेन से पदभार लिया
  4. चौथी बार: 28 नवंबर 2024 को महागठबंधन की जीत के बाद फिर शपथ

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: तारीफें और तंज दोनों

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य हेमंत सोरेन के सफल लम्बे कार्यकाल पर बोलते हुए
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य हेमंत सोरेन के सफल लम्बे कार्यकाल पर बोलते हुए

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “राज्य में अब तक किसी भी मुख्यमंत्री का कार्यकाल यादगार नहीं रहा, लेकिन हेमंत सोरेन का नेतृत्व अपवाद है। वे जनता के दिलों में बसते हैं।”

वहीं, भाजपा प्रवक्ता अजय शाह ने चुटकी लेते हुए कहा, “बिलकुल याद किया जाएगा हेमंत सोरेन का कार्यकाल — भ्रष्टाचार के लिए, जंगलराज के लिए, और झारखंड को बर्बादी की ओर ले जाने के लिए।”

जनता का क्या है मूड?

जनता के बीच हेमंत सोरेन की लोकप्रियता बनी हुई है, खासकर आदिवासी समुदाय और ग्रामीण क्षेत्रों में। लेकिन शहरी इलाकों में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

क्या बोले सियासी जानकार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी के बावजूद जिस तरह सत्ता में वापसी की और महागठबंधन को जीत दिलाई, वह उनकी रणनीतिक कुशलता और जनाधार का प्रमाण है। लेकिन यह भी तय है कि आने वाले समय में उन्हें अपने दामन पर लगे दागों का जवाब भी देना होगा।


गौरतलब है कि हेमंत सोरेन का चौथा कार्यकाल चल रहा है और रिकॉर्ड बन चुका है। लेकिन यह रिकॉर्ड उन्हें राजनीतिक रूप से और मजबूत करेगा या विपक्ष के निशाने पर बनाए रखेगा — इसका फैसला आने वाले समय और जनता के मूड से तय होगा।

KK Sagar
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