मिरर मीडिया : गांडेय विधानसभा क्षेत्र से झामुमो विधायक सरफराज अहमद का झारखंड विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है जबकि समय इस ओर इशारा भी कर रही है कि
झारखंड की राजनीति में क्या कुछ बड़ा होने वाला है। लिहाजा ये सवाल झारखंड की सियासी गलियारे से होते हुए केंद्र की राजनीति में भी गोते खा रहा है।
हालांकि झामुमो विधायक के इस्तीफा देने के पीछे निजी कारणों का हवाला दिया गया है लेकिन इस इस्तीफे से झारखंड की राजनीति में जरूर भूचाल ला दिया है। वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि अब गांडेय सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि सही मायने में अभी इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है। जबकि राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि जेएमएम की ओर से सरफराज अहमद को अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाकर दिल्ली भेजा जा सकता है, वहीं सरफराज अहमद की ओर से खाली किए सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ सकती हैं।
हालांकि दूसरी तरफ नजर डाले तो ED ने इससे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सातवां और आखिरी समन भेज कर दो दिनों के अंदर पूछताछ के लिए समय, तिथि और जगह बताने को कहा था लेकिन पहले की तरह यह समय भी 31 दिसंबर को खत्म हो गई। ऐसे में झारखंड की राजनीति में बड़े राजनीतिक बदलाव के संकेत देखें जा सकते हैं।
इस मामले में गोड्डा के बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने पूरे प्रकरण पर ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। बता से कि झामुमो विधायक के इस्तीफे के साथ ही हमेशा एक्टिव रहने वाले प्रदेश के दिग्गज राजनेता और बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है कि झारखंड के गांडेय विधायक सरफराज अहमद ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दिया,इस्तीफ़ा स्वीकार हुआ। हेमंत सोरेन जी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे,झारखंड की अगली मुख्यमंत्री उनकी पत्नी कल्पना सोरेन जी होंगी। नया साल सोरेन परिवार के लिए कष्टदायक।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को कानूनी सलाह लेनी चाहिए, झारखंड विधानसभा का गठन 27 दिसंबर 2019 को हुआ। सरफराज अहमद का इस्तीफा 31 दिसंबर को हुआ। एक साल से कम समय में उपचुनाव नहीं हो सकता। यह पार्टी हेमंत सोरेन की नहीं, शिबू सोरेन की है, सीता सोरेन, बसंत सोरेन विधायक हैं। चंपई सोरेन, मथुरा महतो, साइमन मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम और नलिन सोरेन के खून-पसीने की पार्टी का इतना बुरा हाल? वैसे गांडेय सीट NDA हर हाल में जीतेगी। निशिकांत दुबे ने एक अन्य ट्वीट कर मुम्बई हाईकोर्ट के काटोल विधानसभा के निर्णय का हवाला देते हुए लिखा है कि अब गांडेय में चुनाव नहीं हो सकता । काटोल विधानसभा जब महाराष्ट्र में ख़ाली हुआ तब विधानसभा का कार्यकाल 1 साल 50 दिन ख़ाली था।@CPRGuv राज्यपाल महोदय यदि कल्पना सोरेन जी कहीं से विधायक नहीं बन सकती हैं तो मुख्यमंत्री कैसे बनेंगी?झारखंड को चारागाह @INCIndia बनाने की कोशिश कर रही है।