हेमकुंड साहिब: सिखों के पवित्र तीर्थ के कपाट खुले, गूंजे वाहे गुरु के जयकारे

Manju
By Manju
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मिरर डेस्क। देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थल गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब के कपाट रविवार को हल्की वर्षा के बीच उत्साहपूर्ण माहौल में खोल दिए गए। सुबह साढ़े नौ बजे विधि-विधान के साथ कपाट खुलने के साथ ही धाम में ‘वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह, जो बोले सो निहाल’ के जयकारे गूंज उठे। इस पावन अवसर पर पांच हजार से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने गुरुद्वारा साहिब के साथ-साथ पास के लोकपाल लक्ष्मण मंदिर में भी पूजा-अर्चना की। गुरुद्वारा परिसर को सात क्विंटल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया, जिसने इस पवित्र स्थल की शोभा को और बढ़ा दिया।

हेमकुंड साहिब धार्मिक महत्व
हेमकुंड साहिब सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह स्थल सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ा हुआ है। उनकी आत्मकथा ‘बचित्र नाटक’ के अनुसार, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पिछले जन्म में हेमकुंड साहिब में तपस्या की थी। यह तीर्थ स्थल हिमालय की गोद में बर्फ से ढके पहाड़ों और हेमकुंड सरोवर के किनारे स्थित है, जिसे ‘अमृत सरोवर’ भी कहा जाता है। सरोवर के किनारे बने गुरुद्वारे का शांत और पवित्र वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
हेमकुंड साहिब का महत्व केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं है। पास ही स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर हिंदू श्रद्धालुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां माना जाता है कि महाभारत काल में पांडव भाई लक्ष्मण ने तप किया था। यह स्थल सिख और हिंदू दोनों समुदायों के लिए एक साझा आध्यात्मिक केंद्र है, जो आपसी सौहार्द और एकता का प्रतीक है।

यात्रा और वर्तमान संदर्भ
हेमकुंड साहिब की यात्रा एक कठिन लेकिन आध्यात्मिक अनुभव है। गोविंदघाट से शुरू होने वाली यह यात्रा करीब 19 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई के साथ हिमालय की रमणीय वादियों से होकर गुजरती है। घांघरिया तक 13 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद अंतिम 6 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई श्रद्धालुओं के संकल्प और श्रद्धा की परीक्षा लेती है। इस वर्ष कपाट खुलने के समय हल्की वर्षा ने यात्रियों के उत्साह को और बढ़ाया।
उत्तराखंड सरकार और गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने यात्रियों की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की हैं। गोविंदघाट और घांघरिया में आवास, चिकित्सा सुविधाएं और मार्गदर्शन के लिए हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं। यात्रा मई से अक्टूबर तक संचालित होती है, क्योंकि शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण कपाट बंद रहते हैं।

पर्यावरण और साहसिक महत्व:
हेमकुंड साहिब न केवल धार्मिक, बल्कि प्राकृतिक और साहसिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह स्थल नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जहां दुर्लभ हिमालयी फूल ‘ब्रह्मकमल’ और अन्य वनस्पतियां पाई जाती हैं। हेमकुंड सरोवर का क्रिस्टल साफ पानी और चारों ओर बर्फ से ढके सात शिखर (सप्तश्रृंग) इस स्थल को स्वर्ग के समान बनाते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए सुझाव :
यात्रा से पहले शारीरिक फिटनेस और मेडिकल जांच अनिवार्य है, क्योंकि उच्च ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। गर्म कपड़े, उपयुक्त जूते और आवश्यक दवाएं साथ रखें। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर यात्रा की ताजा जानकारी प्राप्त करें।

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