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धनबाद जेल में जातिगत भेदभाव की जांच : SC के निर्देश पर हाई लेवल टीम ने किया निरीक्षण

धनबाद जेल में कैदियों को जातिगत आधार पर अलग रखने की आशंका की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय टीम ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी के नेतृत्व में जेल का निरीक्षण किया। टीम ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत जेल में संभावित जातिगत भेदभाव की जांच की।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2024 को आदेश दिया था कि देश की जेलों में जातिगत भेदभाव की जांच की जाए। सामाजिक संगठनों और रिपोर्ट्स में यह आशंका जताई गई थी कि विवाद और सांप्रदायिक तनाव को कम करने के लिए कैदियों को जाति या समुदाय के आधार पर अलग-अलग बैरकों में रखा जा सकता है। यह मामला “सुकन्या बनाम भारत सरकार” (रिट पिटीशन संख्या 1404/23) में उठाया गया था।

जांच के निष्कर्ष

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि धनबाद जेल में जातिगत आधार पर कोई वर्गीकरण नहीं पाया गया। उन्होंने कहा कि जेलें सुधार और पुनर्वास का केंद्र होनी चाहिए, न कि भेदभाव और असमानता का। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि संविधान के सिद्धांतों और मानवाधिकारों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

धनबाद मंडल कारा अधीक्षक विनोद कुमार ने स्पष्ट किया कि कैदियों को उनके अपराध की प्रकृति, सुरक्षा की स्थिति और व्यवहार के आधार पर बैरकों में रखा जाता है, न कि जाति, धर्म, या अन्य सामाजिक पहचान के आधार पर।

टीम में शामिल अधिकारी

जांच टीम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी के अलावा अवर न्यायाधीश राकेश रोशन, अपर समाहर्ता सह मंडल कारा अधीक्षक विनोद कुमार, एसडीएम राजेश कुमार, प्रभारी सीएमओ डॉ. रोहित गौतम, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनीता कुजूर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

महत्वपूर्ण संदेश

जिला प्रशासन ने कहा कि जेलों में किसी भी प्रकार का भेदभाव अस्वीकार्य है और यदि ऐसी कोई अनियमितता पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। टीम ने यह भी सुनिश्चित किया कि जेल प्रशासन मानवाधिकारों और समानता के सिद्धांतों का पालन कर रहा है।

KK Sagar
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