सुप्रीम कोर्ट ने बुजुर्ग माता-पिता के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अब अगर बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते हैं, तो माता-पिता उन्हें दी गई प्रॉपर्टी या गिफ्ट वापस ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बच्चों को बुजुर्ग माता-पिता का हर हाल में भरण-पोषण करना होगा।
क्या है फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि बच्चे माता-पिता की देखभाल करने में विफल रहते हैं, तो माता-पिता के द्वारा उन्हें दी गई प्रॉपर्टी या गिफ्ट वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 (Welfare of the Parents and Senior Citizens Act) के तहत रद्द किए जा सकते हैं। कोर्ट ने जोर दिया कि यह फैसला उन बच्चों पर लागू होगा, जो संपत्ति हासिल करने के बाद अपने माता-पिता को उनके हाल पर छोड़ देते हैं।
फैसले की खास बातें
- यदि माता-पिता की देखभाल नहीं की जाती, तो दी गई संपत्ति और गिफ्ट वापस लेने का अधिकार रहेगा।
- संपत्ति का ट्रांसफर शून्य घोषित किया जा सकता है।
- बच्चों को माता-पिता के भरण-पोषण की शर्त पूरी करनी होगी।
- बुजुर्गों को उनके अधिकारों के लिए अब लंबी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ेगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि समाज में अक्सर देखने को मिलता है कि बच्चे माता-पिता से प्रॉपर्टी और गिफ्ट लेकर उनकी अनदेखी करते हैं। इससे बुजुर्गों को आर्थिक और मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। यह फैसला सुनिश्चित करेगा कि बच्चों को माता-पिता की जिम्मेदारी का एहसास हो और वे उनका ख्याल रखें।
बुजुर्गों के लिए राहतभरा कदम
इस फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि समाज में बुजुर्गों की स्थिति में सुधार आएगा। कोर्ट का यह निर्णय उन बच्चों के लिए सख्त चेतावनी है, जो माता-पिता की संपत्ति लेने के बाद उन्हें नजरअंदाज करते हैं।