समुद्र तट से गूंजा ‘योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ का संदेश : विशाखापट्टनम में पीएम मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक आयोजन

KK Sagar
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21 जून 2025 को पूरी दुनिया में 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भव्य रूप से मनाया गया, लेकिन इस बार का सबसे भव्य और ऐतिहासिक आयोजन भारत के बंदरगाह शहर विशाखापट्टनम में देखने को मिला, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारों लोगों के साथ समुद्र तट पर योगाभ्यास कर एक नई मिसाल कायम की।

आरके बीच से लेकर भोगापुरम तक फैली करीब 26 किलोमीटर लंबी तटीय पट्टी पर सुबह का नज़ारा बेहद अद्भुत था। समंदर की लहरों के बीच सूर्य की पहली किरणों के साथ जब पीएम मोदी ने योग का शुभारंभ किया, तो पूरा वातावरण एक ध्यानमग्न ऊर्जा से भर गया। आयोजन में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, राज्यपाल एस अब्दुल नजीर, और कई केंद्रीय मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए।

इस अवसर पर “योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” थीम के साथ एक सशक्त संदेश दिया गया कि योग केवल शरीर नहीं, बल्कि धरती और जीवन के हर पहलू को स्वस्थ रखने का माध्यम है। आयोजन में भाग लेने वालों की संख्या ने रेकॉर्ड बना दिया—करीब 3 लाख लोग एक साथ योगाभ्यास करते नज़र आए, जिनमें बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र, योग प्रशिक्षक, नौसेना कर्मी और आम नागरिक शामिल थे।

सुरक्षा के लिहाज से भी कार्यक्रम पूरी तरह चाक-चौबंद था। लगभग 10 हजार पुलिसकर्मी, 1,200 सीसीटीवी कैमरे, और तीन स्तर की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। वहीं, ईस्टर्न नेवल कमांड के 11 हजार से अधिक नौसेना कर्मियों और उनके परिवारजनों ने तटीय क्षेत्र में योग कर सैन्य-आध्यात्मिक संतुलन का प्रतीक प्रस्तुत किया।

राज्य सरकार की ओर से इस आयोजन के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई थीं। लगभग 2.39 करोड़ लोगों का रजिस्ट्रेशन, 1.44 लाख से अधिक प्रमाणित योग प्रशिक्षकों की टीम, और 5 हजार से अधिक मास्टर ट्रेनरों ने इस आयोजन को एक नया आयाम दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि “योग भारत की प्राचीन देन है, जो आज वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन बन चुकी है।”

योग: भारत की आध्यात्मिक परंपरा का मूल और भगवान शिव का योगदान

योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक जागरण का मार्ग है, जिसकी शुरुआत भारत की प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ी मानी जाती है। संस्कृत शब्द ‘योग’ का अर्थ है ‘मिलन’—आत्मा और परमात्मा के मिलन की प्रक्रिया।

भगवान शिव को “आदियोगी” अर्थात पहले योगी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि उन्होंने हिमालय की कांति सरोवर झील के किनारे बैठकर योग की गूढ़ विद्या का अभ्यास किया और फिर सप्त ऋषियों को इसका ज्ञान दिया, जो आगे चलकर पूरी मानव सभ्यता तक पहुँचा। शिव के इसी रूप को “नटराज” कहा गया, जिसमें उनका नृत्य और ध्यान दोनों ही योग की सर्वोच्च अवस्थाओं का प्रतीक माने जाते हैं।

ऋग्वेद, उपनिषद, महाभारत, भगवद्गीता और योगसूत्र जैसे ग्रंथों में योग की विविध धाराएँ—कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, और राजयोग—का उल्लेख मिलता है। इन शास्त्रों में योग को केवल शरीर के स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि उसे मन, बुद्धि और आत्मा की शुद्धि का साधन बताया गया है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को घोषित की गई थी, और तब से यह दिन हर साल दुनिया के सैकड़ों देशों में भारतीय योग परंपरा के सम्मान और अभ्यास का पर्व बन गया है।

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