कतरास कॉलेज में ऐतिहासिक पहल : कुरमाली और खोट्टा भाषा को मिला पाठ्यक्रम में स्थान

KK Sagar
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स्थानीय संस्कृति और परंपरा को मिला सम्मान
कतरासगढ़ स्थित कतरास कॉलेज में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए कुरमाली और खोट्टा भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह फैसला कॉलेज प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लंबे प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है। इस कदम को क्षेत्रीय भाषाओं और झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है।

विधायक प्रतिनिधि ने जताया आभार
बीबीएमकेयू के विधायक प्रतिनिधि चितरंजन कुमार सिंह ने इस महत्वपूर्ण पहल पर विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से कुलपति डॉ. राम कुमार सिंह, डीएसडब्ल्यू डॉ. पुष्पा कुमारी, रजिस्ट्रार राधानाथ त्रिपाठी और सीडीसी तिवारी सर का आभार जताया।

उन्होंने कहा कि “हमारे अनुरोध को स्वीकार कर विश्वविद्यालय ने न केवल क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान दिया है बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का एक मजबूत कदम भी उठाया है। यह आने वाली पीढ़ियों को अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़े रखने में मदद करेगा।”

भाषाई अस्मिता पर गर्व
चितरंजन कुमार सिंह ने इस अवसर पर कहा कि कुरमाली और खोट्टा जैसी भाषाएँ झारखंड की सांस्कृतिक अस्मिता की पहचान हैं। इन्हें शैक्षणिक स्तर पर स्थान मिलना बेहद गर्व और गौरव की बात है।

स्थानीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी
आभार व्यक्त करने के दौरान चितरंजन कुमार सिंह के साथ निखिल रॉय, आयुष चौरसिया और प्रकाश पटवा भी मौजूद रहे। सभी ने संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन की इस पहल की सराहना की और कहा कि यह निर्णय विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा के अध्ययन के लिए एक नया मंच प्रदान करेगा।

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