डिजिटल डेस्क/ अयोध्या: गंगा दशहरा के पावन अवसर पर अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राजा राम के रूप में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य समारोह हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच यह अनुष्ठान संपन्न किया। ब्रह्ममुहूर्त से मंदिर परिसर में भक्ति का माहौल था। मुख्यमंत्री ने राम दरबार और परकोटा के छह मंदिरों में स्थापित शिवलिंग, श्रीगणेश, हनुमान, सूर्य, मां भगवती, अन्नपूर्णा माता और शेषावतार की मूर्तियों का अभिषेक कर आवरण हटाया। राजा राम का आभूषणों से भव्य श्रृंगार हुआ। इस दौरान अयोध्या के 19 संत-धर्माचार्य, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी मौजूद रहे।

यह समारोह 3 जून से शुरू हुए तीन दिवसीय अनुष्ठान का समापन था, जो 2 जून को सरयू तट से जल कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ था। अभिजीत मुहूर्त में 101 आचार्यों ने 1900 से अधिक मंत्रों और हनुमान चालीसा का पाठ किया। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि यह आयोजन मंदिर निर्माण का महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूमि पूजन के बाद शुरू हुआ था। मंदिर के पहले तल पर राम दरबार और परकोटा के आठ मंदिरों में देव विग्रहों की स्थापना ने अयोध्या को आध्यात्मिक केंद्र बना दिया।
श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह दिखा। देश-विदेश से आए भक्तों ने रामलला और राजा राम के दर्शन किए। सुरक्षा के लिए ड्रोन निगरानी और अतिरिक्त बल तैनात किए गए। पूर्व बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी समारोह का स्वागत करते हुए कहा, ‘अयोध्या धर्म नगरी है। मैं भी राजा राम का आशीर्वाद लूंगा।’ यह ऐतिहासिक क्षण सनातन परंपरा की पुनर्स्थापना का प्रतीक है, जो भविष्य में प्रेरणा देगा।