वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत आम उपभोक्ताओं और निवेशकों के लिए अच्छी खबर लेकर आई है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में सोने और चांदी दोनों की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल की शुरुआत से अब तक सोना करीब ₹2,500 प्रति 10 ग्राम सस्ता हुआ है, वहीं चांदी की कीमतों में ₹13,500 प्रति किलोग्राम की बड़ी गिरावट देखी गई है।
सोना हुआ और भी “सोणा”
अप्रैल 2025 में 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने की कीमतें ₹67,000 प्रति 10 ग्राम के आस-पास थीं। अब यह घटकर ₹64,500 तक आ गई हैं। यानी सोने की कीमतों में करीब ₹2,500 प्रति 10 ग्राम की कमी आई है। इस गिरावट का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डॉलर की मजबूती और फेडरल रिजर्व की नीतियों से जुड़ा दबाव माना जा रहा है।
चांदी ने भी तोड़ा दम
चांदी की कीमतों में गिरावट और भी ज्यादा रही है। अप्रैल की शुरुआत में चांदी करीब ₹78,000 प्रति किलोग्राम पर थी, जो अब घटकर लगभग ₹64,500 रह गई है। यानी ₹13,500 प्रति किलोग्राम की बड़ी गिरावट। चांदी की कीमतों पर औद्योगिक मांग की सुस्ती और वैश्विक आपूर्ति में बढ़ोतरी का असर पड़ा है।
गिरावट के पीछे के कारण:
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: डॉलर इंडेक्स में मजबूती और अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की संभावनाओं से सोने की मांग में कमी आई है।
- स्थानीय मांग में ठंडक: भारत में शादी और त्योहारों के सीजन की समाप्ति के साथ बाजार में डिमांड कम हुई है।
- औद्योगिक गतिविधियों की सुस्ती: चांदी मुख्यतः उद्योगों में इस्तेमाल होती है। मांग में कमी ने इसकी कीमतों को नीचे धकेला।
निवेशकों के लिए मौका?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक बेहतरीन अवसर है। चूंकि सोना और चांदी को सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, ऐसे में कीमतों में आई यह गिरावट इन धातुओं को खरीदने के लिए सही समय हो सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि निवेश करते समय मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों और बाजार के रुझानों को ध्यान में रखें।
क्या आगे और सस्ता होगा सोना-चांदी?
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि डॉलर और वैश्विक ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव जारी रहा, तो सोने और चांदी की कीमतों में और गिरावट संभव है। वहीं, अगर भूराजनीतिक तनाव या आर्थिक संकट बढ़ता है, तो कीमतों में तेजी भी आ सकती है।