रांची: झारखंड में औषधि निरीक्षकों (ड्रग इंस्पेक्टर) की भारी कमी के कारण दवाओं की गुणवत्ता की सही तरीके से जांच नहीं हो पा रही है। वर्तमान में राज्य में कुल 42 औषधि निरीक्षकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौजूदा समय में केवल 30 अधिकारी कार्यरत हैं। इनमें से 18 औषधि निरीक्षकों का प्रमोशन हो चुका है, जिससे अब केवल 12 निरीक्षकों के भरोसे पूरे राज्य की दवा दुकानों और औषधि गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है।
ड्रग इंस्पेक्टर की कमी से बढ़ रही परेशानियां
राज्य में ड्रग इंस्पेक्टरों की संख्या कम होने के कारण कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। एक-एक निरीक्षक को तीन से चार जिलों की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है, जिससे दवाओं की गुणवत्ता की सही तरीके से जांच कर पाना मुश्किल हो गया है। वहीं धनबाद की बात करें तो जिले में पहले 3 ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत थे जिससे कि निरीक्षण के साथ सभी तरह के कार्य सुचारु रूप से हो रहे थे जबकि अब एक ड्रग इंस्पेक्टर पर कार्यभार अधिक होने से कई तरह की परेशानी और मामले लंबित पड़े हैं जबकि निरिक्षण का कार्य भी सही ढंग से नहीं हो पर रहा हैं।
NDPS दवाओं की अवैध खरीद-बिक्री पर नियंत्रण में बाधा
- मादक दवाओं और नशीले पदार्थों (NDPS) की अवैध खरीद-बिक्री पर सही नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। राज्य में कई जगहों पर अवैध रूप से नशीली दवाओं का कारोबार किया जा रहा है, लेकिन ड्रग इंस्पेक्टरों की संख्या कम होने के कारण इन गतिविधियों पर प्रभावी रूप से रोक लगाना मुश्किल हो रहा है। हाल ही में फेंसीडिल (Fensidyl) जैसी प्रतिबंधित दवाओं की बड़ी खेप पकड़ी गई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस तरह का अवैध कारोबार जारी है।
- दवा की गुणवत्ता की जांच पर असर
राज्यभर में करीब 30 हजार से अधिक दवा दुकानें हैं, लेकिन महज 12 ड्रग इंस्पेक्टरों के सहारे इन सभी दुकानों की नियमित जांच कर पाना संभव नहीं है। दवा दुकानों में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। कम संख्या के कारण निरीक्षक हर जगह पहुंचने में असमर्थ हैं, जिससे निम्न गुणवत्ता की दवाओं की बिक्री की आशंका बढ़ गई है।- कार्यालयों में नहीं मिल रहे निरीक्षक, प्रशासनिक कार्य भी प्रभावित
ड्रग इंस्पेक्टरों की भारी कमी का असर केवल जांच कार्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज भी बाधित हो रहा है। निरीक्षक लगातार फील्ड में व्यस्त रहते हैं, जिससे वे अपने कार्यालयों में समय नहीं दे पा रहे हैं। कई बार लोग शिकायतों को लेकर दवा प्रशासन कार्यालय पहुंचते हैं, लेकिन वहां निरीक्षक मौजूद नहीं होते। इससे लोगों को असुविधा हो रही है और दवा से जुड़ी समस्याओं का समाधान समय पर नहीं हो पा रहा है।
जल्द बहाली जरूरी, नहीं तो बढ़ सकती हैं समस्याएं
झारखंड में ड्रग इंस्पेक्टरों की भारी कमी को देखते हुए जल्द से जल्द रिक्त पदों पर बहाली की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द से जल्द सभी 42 पदों को भरा नहीं गया, तो आने वाले समय में दवाओं की गुणवत्ता और अवैध दवा व्यापार पर नियंत्रण पाना और मुश्किल हो जाएगा।
सरकार को उठाने होंगे त्वरित कदम
सरकार को चाहिए कि जब तक नए औषधि निरीक्षकों की बहाली नहीं होती, तब तक जिन 18 निरीक्षकों का प्रमोशन हो चुका है, उनसे भी निरीक्षण का कार्य लिया जाए। इससे निरीक्षकों की संख्या 30 तक पहुंच सकेगी और राज्य में दवा की गुणवत्ता और अवैध दवा व्यापार की जांच बेहतर ढंग से की जा सकेगी।
औषधि निरीक्षकों की कमी से झारखंड में दवा निगरानी प्रणाली कमजोर हो गई है। अगर सरकार जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान नहीं करती है, तो आम जनता तक मिलावटी या निम्न गुणवत्ता की दवाएं पहुंचने का खतरा बना रहेगा। इसके अलावा, अवैध दवा व्यापार पर भी सख्ती से लगाम लगाने के लिए पर्याप्त संख्या में निरीक्षकों की नियुक्ति बेहद जरूरी है।