चार वर्षों से एकदूसरे से अलग होने के लिए पति-पत्नी लड़ रहें थे मुकदमा : डालसा के प्रयास से फिर से हुए एक

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मिरर मीडिया : पति-पत्नी का रिश्ता जीवन के दो पहिये की तरह होता है एक अगर लड़खड़ा जाए तो दूसरा चल नहीं पाएगा यानी जीवन की गाडी रुक जाएगी। पर कभी-कभी ऐसे मोड़ ऐसा समय आता है कि रिश्ते में कुछ गलतफहमी के कारण खटास आ जाते हैं और बात रिश्ते के अलग होने तक पहुँच जाते हैं। ऐसा ही एक सामने आया है। आपको बता दें कि शादी के एक वर्ष के बाद पति पत्नी के रिश्ते में खटास आ गई। दोनों के बीच का झगड़ा कोट कचहरी तक पहुंचा। पति पत्नी ने एक दूसरे के विरुद्ध बोकारो और धनबाद जिले में मुकदमा दर्ज कराया।

और दोनो चार वर्षों से कोर्ट का चक्कर लगा रहे थे।  शुक्रवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह अवर न्यायाधीश निताशा बारला ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में पति पत्नी के बीच सुलह करा दिया।  दोनों एक साथ कोर्ट से विदा हुए। इतना ही नहीं दोनों ने न्यायाधीश के समक्ष एक दूसरे को माला पहनाया। न्यायाधीश बारला ने दोनों को सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत करने की शुभकामना देते हुए उन्हें मिठाई भी भेंट की।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बलीडीह बोकारो निवासी राजेश रजवार की शादी वर्ष 2016 में तेलीपाड़ा की रहने वाली महिला के साथ हुई थी। दोनो को एक बच्चे भी थे। इसी बीच दोनों के रिश्ते में खटास आ गए। राजेश की पत्नी ने धनबाद में उसके विरुद्ध दहेज प्रताड़ना और भरण पोषण का मुकदमा दर्ज करा दिया तो पति ने भी बोकारो में दांपत्य जीवन के पुन: स्थापना के लिए मुकदमा दर्ज कराया। धनबाद की अदालत ने राजेश को अपने पत्नी का भरण पोषण के लिए मासिक रकम भुगतान करने का आदेश दिया।

भरण पोषण की राशि को कम करने के लिए राजेश ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की। उच्च न्यायालय ने पति पत्नी को बुलाकर मध्यस्थता कराया। जिसमें दोनों एक साथ रहने को राजी हुए। उच्च न्यायालय ने पति पत्नी को  जिला विधिक सेवा प्राधिकार धनबाद के सचिव के समक्ष अपने बच्चे के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने प्राधिकार के सचिव को आदेश दिया था कि दोनों के ससम्मान विदाई से संबंधित सभी कार्रवाई की जाए।

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