झारखंड हाईकोर्ट ने भूमि म्यूटेशन में लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए हजारीबाग जिले के कटकमदाग अंचल के अंचलाधिकारी (सीओ) को चार सप्ताह के भीतर म्यूटेशन प्रक्रिया पूर्ण करने का स्पष्ट आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि निर्धारित समय सीमा में आदेश का पालन नहीं हुआ, तो वर्तमान अंचलाधिकारी पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया जाएगा, जिसकी राशि सीधे याचिकाकर्ता को दी जाएगी। यह आदेश दीपक कुमार नामक याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि 11.5 डिसमिल भूमि के म्यूटेशन के एवज में उनसे ₹5 लाख की अवैध राशि की मांग की गई थी। उन्होंने पहले सिटीजन पोर्टल के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई और उसके बाद अपर समाहर्ता को भी लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि म्यूटेशन से संबंधित पहले और बाद में दिए गए प्रशासनिक आदेश आपस में विरोधाभासी हैं। साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश को केवल पद के आधार पर कोई अधिकारी रद्द नहीं कर सकता।
हाईकोर्ट का कड़ा संदेश
कोर्ट ने कहा कि म्यूटेशन जैसी प्रक्रिया, जो सीधे नागरिक अधिकारों से जुड़ी है, उसमें पारदर्शिता और कानून का पालन अत्यंत आवश्यक है। किसी भी स्तर की लापरवाही अथवा भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही, अदालत ने उपायुक्त को निर्देश दिया है कि रिश्वत के आरोपों को लेकर पूर्व अंचलाधिकारी प्रशांत कुमार के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जाए।
प्रशासन के लिए चेतावनी
इस निर्णय के बाद जिला प्रशासन और राज्य भर के सभी अंचलाधिकारियों के लिए यह एक सख्त चेतावनी मानी जा रही है कि म्यूटेशन जैसी अहम प्रक्रिया में अब मनमानी और भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अदालतें सजग हैं और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँगे।

