जमशेदपुर। माझी परगना महाल धाड़ दिशोम पूर्वी सिंहभूम के प्रतिनिधियों को मंगलवार को उपायुक्त विजया जाधव ने आश्वस्त किया कि पंचायतों के विशेष ग्राम सभा में ग्राम सभा की अध्यक्षता पारम्परिक ग्राम प्रधान जैसे माझी बाबा, मुंडा, महतो, पहन आदि के द्वारा ही की जाएगी। इसका निर्देश सम्बंधित अधिकारीयों को दिया जाएगा। इस सिलसिले में मंगलवार को महाल का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी से मिलने पहुंचा था। डीसी से माझी महाल ने कहा कि झारखण्ड राज्य विविधता से भरा है। यहां एक देश एक आदेश का पालन सुचारू रूप से नहीं किया जा सकता है, क्योंकि झारखण्ड राज्य के अन्तर्गत 24 जिला में से 13 जिला ही 5वीं अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं। पंचायत राज अधिनियम 2001 के तहत झारखण्ड राज्य ग्राम सभा का गठन, बैठक की प्रक्रिया एवं संचालन यहां नियमावली 2003 के द्वारा होती है । इसलिए केन्द्र सरकार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत मनाया जा रहा विशेष ग्राम सभा की बैठक जो कि दिनांक 14 जुलाई को प्रत्येक ग्राम पंचायत में रखा गया है। उसे लेकर स्पष्टीकरण होना चाहिए। ज्ञात हो झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम 2001 कहता है कि अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता उस ग्राम के अनुसूचित जनजातियों के ऐसे सदस्य द्वारा की जाएगी जो संबंधित पंचायत की मुखिया, उपमुखिया या प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य नहीं हो और उस ग्राम सभा में परंपरा से प्रचलित रीति रिवाज के अनुसार मान्यता प्राप्त व्यक्ति हो जो ग्राम प्रधान जैसे माझी, मुंडा, पाहन, महतो या किसी अन्य नाम से जाना जाता हो या उनके द्वारा मनोनीत- समर्थित व्यक्ति हो । इसी के आलोक में मांग की गई कि ग्राम सभा के लिए ग्राम पंचायत के मुखिया, उपमुखिया या प्रादेशिक क्षेत्र के सदस्य नहीं होकर परंपरा से प्रचलित रीति रिवाज के अनुसार मान्यता प्राप्त व्यक्ति को ही विशेष ग्राम सभा को भी सम्पन्न कराया जाए, ताकि नियम संगत हो अन्यथा इस तरह की बैठक को माझी परगना माहाल धाड़दिशम इसका पुरजोर विरोध करेगा।