डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : समाहरणालय सभागार जमशेदपुर में उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक आहूत की गई। वरीय पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडेय, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर अनिकेत सचान, सिटी एसपी कुमार शिवाशीष, एसडीएम धालभूम शताब्दी मजूमदार, एसडीएम घाटशिला सुनील चंद्र समेत अन्य संबंधित विभागीय पदाधिकारी बैठक में उपस्थित रहे। वहीं अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए। बैठक में जिला अंतर्गत खनिजों के अवैध खनन, भंडारण व परिवहन के विरूद्ध प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित किए जाने का निदेश दिया गया।
उपायुक्त ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि कार्रवाई परिणात्मक के साथ-साथ गुणात्मक हो, सीओ व थाना प्रभारी अवैध खनिज कारोबारियों पर नकेल कसें, टास्क फोर्स के सभी विभाग सूचनातंत्र मजबूत करते हुए संयुक्त रूप से अवैध कारोबारियों पर सटीक कार्रवाई करें। रैयती जमीन पर बालू का अवैध भंडारण पाया जाता है तो संबंधित रैयतदार पर एफआईआर करें, सरकारी जमीन पर बालू के अवैध भंडारण में सीओ की जवाबदेही तय की जाएगी।
बैठक में जानकारी दी गई कि वर्ष 2025-26 में अवैध खनन, भंडारण व परिवहन के 57 मामलों में 14 एफआईआर दर्ज कराते हुए 43 वाहन जब्त किए गए। वहीं, करीब 8 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। वहीं पिछले एक माह में 8 वाहन जब्त किए गए। उपायुक्त द्वारा खनन टास्क फोर्स को कार्रवाई तेज किए जाने का निर्देश दिया गया। ओवरलोड वाहनों पर भी नियमसंगत कार्रवाई और फर्जी खनिज चालान के जांच का निदेश दिया गया।
बैठक में उपायुक्त द्वारा अवैध ईंट भट्ठों व क्रशर संचालकों की सघन जांच कर उनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी औद्योगिक या निर्माण इकाई में नाबालिग श्रमिक कार्यरत न हों, इसकी नियमित रूप से जांच की जाए। साथ ही, बंद पड़ी खदानों में अवैध उत्खनन की संभावनाओं पर सतत निगरानी रखने और ऐसी गतिविधियों को सख्ती से रोकने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया।
उपायुक्त ने कहा कि अवैध गतिविधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। जिला प्रशासन द्वारा गठित टीमों को क्षेत्र में भ्रमण कर समय-समय पर निरीक्षण करने को कहा गया। पर्यावरण व श्रमिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी औद्योगिक गतिविधियों की नियमित ऑडिट की आवश्यकता पर बल दिया गया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सभी इकाइयों को लाइसेंस, पर्यावरणीय स्वीकृति व श्रम कानूनों के अनुपालन की स्थिति स्पष्ट रूप से जांची जाए।